KNEWS DESK- 1984 के सिख दंगे में अहम भूमिका निभाने के आरोप में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें सरस्वती विहार इलाके में 1 नवंबर 1984 को हुए दो सिखों की हत्या के मामले में दोषी ठहराया और यह फैसला सुनाया। इस मामले में सज्जन कुमार पर दंगे भड़काने, गैरकानूनी तरीके से भीड़ एकत्र करने और हत्या करने का आरोप था।
कोर्ट ने 12 फरवरी को सज्जन कुमार को दोषी ठहराया था और अब उन्हें हत्या और घरों को आग लगाने के मामले में उम्रकैद की सजा दी गई है। इसके अलावा, पीड़ितों को चोट पहुंचाने के अपराध में सात साल की सजा भी सुनाई गई। सज्जन कुमार पर 4 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
सज्जन कुमार के वकील ने अदालत में याचिकाकर्ता की फांसी की मांग का विरोध करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल की उम्र लगभग 80 वर्ष है और वे जेल में रहते हुए कभी भी गलत व्यवहार नहीं कर पाए। वकील ने दलील दी कि सज्जन कुमार का कोई अपराधी रिकॉर्ड नहीं है, और उन्होंने अपनी उम्र को ध्यान में रखते हुए फांसी की सजा की बजाय उम्रकैद की सजा की मांग की।
यह मामला 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़ा है, जब देशभर में सिखों के खिलाफ हिंसा भड़की थी। इन दंगों में सिखों के घरों को आग लगाई गई, दुकानें लूटी गईं, और सिखों की हत्या की गई। यह दंगे भारत के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हैं और आज भी इसके घाव ताजे हैं। सिखों के खिलाफ हुई यह हिंसा राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से एक संवेदनशील मामला बन चुकी है, जिसे कई दशकों बाद न्यायिक प्रक्रिया के तहत सुलझाया जा रहा है।
राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार को हत्या, दंगे फैलाने, और गैरकानूनी तरीके से भीड़ एकत्र करने के आरोप में दोषी ठहराया। यह फैसला उन पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी जीत है जिन्होंने न्याय की उम्मीद में वर्षों तक संघर्ष किया है। हालांकि, याचिकाकर्ता की तरफ से सज्जन कुमार को फांसी की सजा की मांग की गई थी, लेकिन अदालत ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई। इस फैसले से यह संकेत मिलता है कि 1984 के सिख दंगे के पीड़ितों को आखिरकार न्याय मिल रहा है, हालांकि इस मामले में कई और आरोपी हैं जिनके खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद अब भी बाकी है।
ये भी पढ़ें- गोविंदा और सुनीता आहूजा के तलाक की उड़ी अफवाहें, जानें क्या है वजह