KNEWS DESK… ISRO ने आज यानी 2 सितंबर को सूर्य की वैज्ञानिक खोज के लिए मिशन लॉन्च कर दिया है. PSLV-C 57 रॉकेट के जरिए सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया जाएगा. सूर्य मिशन को अपनी तय जगह तक पहुंचने में 125 दिन लगेंगे. इस महत्वाकांक्षी मिशन की अध्यक्षता डॉ. शंकर सुब्रमण्यम के कर रहे हैं.
दरअसल आपको बता दें कि डाॅ शंकर सुब्रमण्यम ISRO के वरिष्ठतम वैज्ञानिकों में से एक हैं और उन्होंने ISRO के कई बड़े मिशन को अंजाम तक पहुंचाने में बड़ा योगदान दिया है. उन्होंने बेंगलुरु में यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में सौर अध्ययन में विशेषज्ञता हासिल की है. उन्होंने भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान के माध्यम से बैंगलोर विश्वविद्यालय से फिजिक्स में PHD की है. उनका शोध सोलर मैग्नेटिक क्षेत्र में प्रकाशिकी और इंस्ट्रुमेंटेशन जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित रहा है.
डॉ. शंकरसुब्रमण्यम ISRO के कई मिशनों को अंजाम तक पहुंचा चुके हैं
डॉ. शंकरसुब्रमण्यम ISRO के एस्ट्रोसैट, चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 सहित कई अहम मिशन में जरूरी भूमिकाएं निभा चुके हैं. मौजूदा समय में वह URASC में स्पेस एस्ट्रोनॉमी ग्रुप का नेतृत्व कर रहे हैं. यह समूह आगामी मिशनों जैसे आदित्य-एल1, एक्सपीओसैट और चंद्रयान-3 के इग्नीशन मॉड्यूल के लिए वैज्ञानिक उपकरण बना रहा है.
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ISRO का क्या है मिशन ‘आदित्य एल1’?
ISRO का मिशन आदित्य एल1 सूर्य की बाहरी परत में उष्मा के कारणों का पता लगाएगा. इसको सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेंजियन बिंदु पर तैनात किया जाएगा. ISRO ने कहा, ‘इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा.’ ISRO का कहना है कि चूंकि सूर्य सबसे निकटतम तारा है इसलिए अन्य तारों की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है. इसके बारे में जानने से अन्य आकाश गंगाओं के समान तारों के बारे में जानकारी इकट्ठा की जा सकेगी.
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L-1 तक कैसे पहुंचेगा ISRO का आदित्य?
आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसे अधिक दीर्घवृत्ताकार बनाया जाएगा और बाद में इसमें लगी प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को लैग्रेंज बिंदु ‘एल1’ की ओर प्रक्षेपित किया जाएगा. जैसे ही अंतरिक्ष यान ‘एल1’ की ओर बढ़ेगा, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाएगा. पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद, इसका क्रूज़ चरण शुरू हो जाएगा और बाद में, अंतरिक्ष यान को एल1 के चारों ओर एक बड़ी प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा. इसे इच्छित एल1 बिंदु तक पहुँचने में लगभग चार महीने लगेंगे.
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