BJP अध्यक्ष रवींद्र रैना से लेकर रमण भल्ला तक, सियासी मैदान में बड़े नेता नहीं बचा पाए अपनी जमीन

KNEWS DESK-  जम्मू-कश्मीर में पिछले दस वर्षों के बाद हुए विधानसभा चुनाव में कई बड़े नेता अपनी सीटें बचाने में असफल रहे हैं। चुनावी परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया कि सत्ता पक्ष से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र रैना, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी, कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष रमण भल्ला, और पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद जैसी प्रमुख राजनीतिक शख्सियतों को हार का सामना करना पड़ा है।

भाजपा ने 48 सीटों के साथ चुनाव में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, जबकि कांग्रेस को 37 सीटें मिलीं। जेजेपी और आप जैसी पार्टियों का सफाया हो गया, जबकि इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) को मात्र दो सीटें मिलीं।

हार के प्रमुख कारण

  1. रवींद्र रैना: भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र रैना ने अपने गृह क्षेत्र नौशेरा से 8,751 वोटों से हार का सामना किया। उन्हें अपने क्षेत्र में लंबे समय तक नहीं रहने और विकास की कमी के कारण नाराजगी का सामना करना पड़ा।
  2. रमण भल्ला: कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष रमण भल्ला ने आरएस पुरा-जम्मू दक्षिण से 1,966 वोटों से हार का सामना किया। अगर उन्हें नई बाहु सीट से प्रत्याशी बनाया जाता, तो समीकरण बदल सकते थे।
  3. तारा चंद: छंब सीट से तारा चंद को अपने ही पार्टी के बागी सतीश शर्मा के हाथों हार का सामना करना पड़ा। अगर कांग्रेस ने सतीश को प्रत्याशी बनाया होता, तो नतीजे भिन्न हो सकते थे।
  4. जुगल किशोर: पूर्व मंत्री जुगल किशोर को पहली बार अस्तित्व में आई श्री माता वैष्णो देवी सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर हार का सामना करना पड़ा। अगर उन्हें कांग्रेस से टिकट मिल जाता, तो टक्कर कांटेदार हो सकती थी।
  5. चौधरी लाल सिंह: पूर्व सांसद चौधरी लाल सिंह ने पिछले लोकसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। क्षेत्र में विकास की कमी और उनके विवादास्पद बयानों के कारण मतदाता उनसे नाराज थे।

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