इंडिगो फ्लाइट संकट पर दिल्ली हाईकोर्ट सख्त, केंद्र और एयरलाइन से जवाब तलब, किराया बढ़ोतरी व मुआवजे पर किए कड़े सवाल

डिजिटल डेस्क- इंडिगो एयरलाइंस की हालिया अव्यवस्था से बीते एक सप्ताह में हजारों यात्री परेशान हुए। लगातार फ्लाइट कैंसिल होने से कई लोग घंटों और कुछ मामलों में दिनों तक एयरपोर्ट पर फंसे रहे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने एयरलाइन की 10% उड़ानें कम करने का निर्देश दिया है। इसी मामले में बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने केंद्र सरकार और इंडिगो दोनों को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने सबसे पहले यह सवाल उठाया कि ऐसी अव्यवस्था अचानक कैसे पैदा हो गई? और जब हवाई किराया आसमान छू रहा था, तब सरकार क्या कर रही थी? हाईकोर्ट ने कहा कि यह केवल असुविधा का मामला नहीं, बल्कि बड़े आर्थिक नुकसान और पूरे सिस्टम की विफलता का संकेत है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि एयरपोर्ट पर फंसे यात्रियों की सहायता के लिए तत्काल क्या कदम उठाए गए और एयरलाइन स्टाफ की जिम्मेदारियां तय करने के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई। हवाई किराए में भारी वृद्धि पर कोर्ट ने विशेष नाराजगी जताई।

5 हजार में मिलने वाली टिकट 35 हजार तक कैसे पहुंच गई?- कोर्ट

बेंच ने कहा कि जहां पहले ₹5,000 में मिलने वाले टिकट कुछ ही घंटों में ₹30,000–35,000 तक पहुंच गए, वह भी बिना किसी आपात स्थिति के। कोर्ट ने पूछा कि “ऐसा कैसे हो सकता है कि एक एयरलाइन की समस्या से दूसरी कंपनियां फायदा उठा लें? ऐसा सिस्टम को कैसे अनुमति दी गई कि टिकट ₹39,000 तक पहुंच जाए?” सरकार की ओर से पेश ASG चेतन शर्मा ने बताया कि FDTL (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन) नियम लंबे समय से लागू होने थे, लेकिन एयरलाइन ने बार-बार समयसीमा बढ़ाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि पहली बार मंत्रालय ने सीधे हस्तक्षेप किया है और अब किराए की सीमा तय कर दी गई है, जो एक सख्त नियामकीय कदम है।

मुआवजे के मुद्दे पर की गंभीर टिप्पणी

कोर्ट ने मुआवजे के मुद्दे पर भी गंभीर टिप्पणी करते हुए केंद्र, इंडिगो और DGCA से कहा कि एयरपोर्ट पर फंसे हर यात्री को उचित मुआवजा दिया जाए। कोर्ट ने यह भी पूछा कि पायलटों के ड्यूटी टाइमिंग नियम समय से लागू क्यों नहीं किए गए और इंडिगो ने पर्याप्त संख्या में पायलट भर्ती क्यों नहीं किए। सरकार ने जानकारी दी कि मामले की जांच के लिए गठित कमेटी काम कर रही है और उसकी रिपोर्ट अगली सुनवाई से पहले सीलबंद लिफाफे में पेश की जाएगी। अगली सुनवाई 22 जनवरी 2026 को होगी। वहीं, ASG ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इंडिगो के COO को पहले ही निलंबित किया जा चुका है।

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