KNEWS DESK – दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। वर्तमान में सीएम आतिशी के आवास में स्थानांतरित होने के बाद, पुराना मुख्यमंत्री आवास सील कर दिया गया है और इसके गेट पर डबल लॉक भी लगा दिया गया है। आम आदमी पार्टी (AAP) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है।
विवाद की जड़
आपको बता दें कि विवाद का कारण सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा आवास को खाली करने और हैंडओवर से जुड़ा है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि उपराज्यपाल के निर्देश पर पीडब्ल्यूडी ने सीएम आतिशी का सामान बाहर निकालकर आवास को सील कर दिया। वहीं, भाजपा ने सीएम केजरीवाल पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गैरकानूनी तरीके से बंगले में रहने का प्रयास किया है।
कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन
पार्टी के आरोपों के अनुसार, जब केजरीवाल ने बंगला खाली किया, तब यह विधिवत तरीके से पीडब्ल्यूडी को हैंडओवर नहीं किया गया। यह भी कहा जा रहा है कि नए मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी को बंगला आवंटित नहीं किया गया था। जब कोई सरकारी आवास खाली होता है, तो पीडब्ल्यूडी को उसका कब्जा लेना होता है और उसके बाद ही उसे किसी और को आवंटित किया जा सकता है। इस मामले में सवाल उठता है कि क्या एक मुख्यमंत्री अपने मन से आधिकारिक आवास दूसरे को सौंप सकता है?
पक्षों के तर्क
कुछ दिन पहले, एक वीडियो सामने आया था जिसमें सुनीता केजरीवाल एक अधिकारी को मुख्यमंत्री आवास की चाबी सौंपती नजर आईं। इसके बाद, पीडब्लूडी के एक अधिकारी ने सीएम के विशेष सचिव को पत्र लिखकर कहा कि चाबी सौंपने के कुछ समय बाद इसे वापस ले लिया गया।
आम आदमी पार्टी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह पहली बार है जब मुख्यमंत्री आवास को इस तरह से खाली कराया गया है और यह भाजपा के इशारे पर किया गया।
विपक्ष ने भी कड़ा जवाब दिया है। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि आतिशी को अवैध तरीके से बंगले में रखा गया है। उन्होंने कहा कि शीशमहल को तुरंत सील करने और कानूनी कार्रवाई की मांग की।