एलजी ने दिया सत्र बुलाने का निर्देश
दिल्ली सरकार ने हाल ही में उपराज्यपाल से इन रिपोर्टों को विधानसभा में रखने की अनुमति मांगी थी। इसके बाद, उपराज्यपाल ने इन रिपोर्टों को पटल पर रखने की मंजूरी दी और साथ ही सरकार को तुरंत विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का निर्देश दिया। उपराज्यपाल ने पत्र में स्पष्ट रूप से कहा कि संवैधानिक दायित्व का पालन सुनिश्चित करने के लिए बिना किसी देरी के सत्र बुलाना चाहिए। यह निर्देश ऐसे समय में दिया गया है जब दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में समाप्त होने जा रहा है, और विधानसभा चुनाव जनवरी या दिसंबर में घोषित किए जा सकते हैं।
भाजपा का आरोप और राजनीति का गरमाना
भाजपा ने इन रिपोर्टों को लेकर दिल्ली सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। पार्टी का दावा है कि इन रिपोर्टों में दिल्ली सरकार की कई अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। भाजपा ने इस मुद्दे को विधानसभा में और बाहर दोनों जगह प्रमुखता से उठाया है। भाजपा का कहना है कि सरकार ने जानबूझकर इन रिपोर्टों को पब्लिक नहीं किया, ताकि उनकी सच्चाई से बचा जा सके।
दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया
दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल के पत्र को लेकर अपने रुख को स्पष्ट किया है। सरकार ने कहा कि वह रिपोर्टों को पटल पर रखने को लेकर पूरी तरह तैयार है, लेकिन साथ ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का फैसला जल्द ही लिया जाएगा। सरकार इस मुद्दे पर जल्द ही एक बैठक आयोजित कर सकती है।
राजनीतिक परिपेक्ष्य और संभावनाएं
इस विवाद से दिल्ली की राजनीति में हलचल मच सकती है, खासकर चुनावों के निकट आते ही। जहां एक ओर भाजपा इस मामले को चुनावी मुद्दा बनाकर दिल्ली सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है, वहीं दिल्ली सरकार की कोशिश है कि सत्र बुलाकर रिपोर्टों को पटल पर रखे और इस मामले का समाधान किया जा सके।
इस बीच, दिल्ली सरकार के पास अब कम समय बचा है, क्योंकि फरवरी में विधानसभा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। ऐसे में दिल्ली सरकार को जल्दी से जल्दी विधानसभा का सत्र बुलाने का निर्णय लेना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह राजनीतिक विवाद आगामी विधानसभा चुनावों पर किस तरह असर डालता है और क्या दिल्ली सरकार इन रिपोर्टों को सही तरीके से पेश कर पाती है।
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