KNEWS DESK… चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की सतह का एक नया वीडियो बना कर भेजा है. इसे ISRO ने अपने ट्विटर हैंडल पर जारी किया है. जिस कैमरे के द्वारा चंद्रमा की सतह का यह वीडियो बनाकर भेजा गया है, उसका नाम लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा है. चंद्रयान-3 की चंद्रमा से महज 113 किमी की दूरी अब शेष रह गई है.
दरअसल आपको बता दें कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर द्वारा लिए गए चांद की सतह का नए वीडियो को ISRO ने अपने ट्विटर हैंडल पर जारी किया है. यह वीडियो विक्रम लैंडर पर लगे LPDC सेंसर के जरिए लिया गया है. दरअसल यह एक कैमरा है, जिसका पूरा नाम लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा है. ये LPDC विक्रम लैंडर के निचले हिस्से में लगा हुआ है. इसके लगाने की वजह यह है कि विक्रम लैंडर अपने लिए लैंडिंग की सही एवं सपाट जगह की खोज कर सके. इस LPDC कैमरे की मदद से यह देखा जा सकता है कि विक्रम लैंडर कैसी जगह पर हो रही है. कहीं ऊबड़-खाबड़, गड्ढे या क्रेटर में तो नहीं जा रही है. इस तरह LPDC का मुख्य काम है विक्रम की लैंडिंग के लिए सही जगह खोजना. इस पेलोड के साथ लैंडर हजार्ड डिटेक्शन एंड अवॉयडेंस कैमरा , लेजर अल्टीमीटर , लेजर डॉपलर वेलोसिटीमीटर एवं लैंडर हॉरीजोंटल वेलोसिटी कैमरा मिलकर काम करेंगे. ताकि विक्रम लैंडर को सुरक्षित सतह पर उतारा जा सके.
Chandrayaan-3 Mission:
🌖 as captured by the
Lander Position Detection Camera (LPDC)
on August 15, 2023#Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/nGgayU1QUS— ISRO (@isro) August 18, 2023
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विक्रम लैंडर की ISRO ने बताई खुबियां
ISRO ने बताया है कि विक्रम लैंडर जिस समय चांद की सतह पर उतरेगा, उस समय उसकी गति 2 मीटर प्रति सेकेंड के आसपास होगी. लेकिन हॉरीजोंटल गति 0.5 मीटर प्रति सेकेंड होगी. विक्रम लैंडर 12 डिग्री झुकाव वाली ढलान पर उतरने की संभावना जताई जा रही है. इसकी गति, दिशा एवं चांद पर समतल जमीन खोजने में ये सभी यंत्र विक्रम लैंडर की मदद करेंगे. ये सभी यंत्र लैंडिंग से तकरीबन 500 मीटर पहले ही एक्टिवेट हो जाएंगे.
विक्रम लैंडर की लैडिंग के बाद इसमें लगे 4 पेलोड्स अपना काम करना शुरू कर देंगे. जो इस प्रकार हैं, पहला रंभा जो चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा तथा उसमें होने वाले बदलाव की जांच करेगा. दूसरा चास्टे जो चांद की सतह की गर्मी या तापमान की जांच करेगा. तीसरा इल्सा जो लैंडिंग के आसपास के भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा. जबकि चौथा लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे जो चांद के डायनेमिक्स को समझने में मदद करेगा.