क्या महाराष्ट्र के साथ दिल्ली में हो सकते हैं चुनाव? जानिए कानून के प्रावधान…

KNEWS DESK-  राजधानी दिल्ली में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने पद से इस्तीफा देने का एलान कर सभी को चौंका दिया है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से जल्द से जल्द दिल्ली में चुनाव कराने की मांग की है। ये घटनाक्रम अरविंद केजरीवाल के तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद से तेज हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दिल्ली शराब नीति घोटाले में जमानत दी है, जिसके बाद दिल्ली की सियासत में हलचल मच गई है।

जेल से रिहाई के बाद केजरीवाल का बड़ा ऐलान

केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में जून के अंत में केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) ने गिरफ्तार किया था। हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सशर्त जमानत दी, जिसके बाद शुक्रवार (13 सितंबर) को केजरीवाल तिहाड़ जेल से बाहर आए। जेल से निकलते ही उन्होंने राजनीतिक मोर्चा संभाल लिया।

रविवार को अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और एक बड़ा निर्णय लेते हुए कहा कि वह दो दिन के भीतर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। उन्होंने कहा, “जब तक लोग मुझे ईमानदारी का प्रमाण-पत्र नहीं देते, मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा।”

क्या कहता है कानून?

वकील विराग गुप्ता के अनुसार, चुनाव आयोग के पास यह अधिकार है कि वह राज्यों के विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित कर सके, बशर्ते कि इसके लिए कोई उपयुक्त कारण हो। उन्होंने यह भी कहा कि यह कानूनी रूप से संभव है कि महाराष्ट्र और दिल्ली में चुनाव एक साथ कराए जाएं, क्योंकि दोनों राज्यों के चुनाव कैलेंडर में कुछ महीनों का ही अंतर है।

हालांकि, पिछले मौकों पर दिल्ली के चुनाव अलग से कराए गए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव आयोग के पास यह अधिकार तो है, लेकिन इसके लिए एक ठोस कारण होना जरूरी है।

क्या हो सकती है चुनौती?

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि दिल्ली और महाराष्ट्र में एक साथ चुनाव कराए जाने का निर्णय लिया जाता है, तो इसे कार्यान्वित करने में कुछ चुनौतियां हो सकती हैं। दिल्ली का कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो रहा है, इसलिए महाराष्ट्र के साथ नवंबर में चुनाव कराने के लिए आयोग को विशेष निर्णय लेना होगा। साथ ही, इससे चुनावी तैयारियों पर असर पड़ सकता है, क्योंकि दिल्ली में सामान्य रूप से चुनावी प्रक्रिया साल की शुरुआत में होती रही है।

जल्दी चुनाव की मांग

मुख्यमंत्री पद छोड़ने के साथ ही अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में जल्द चुनाव कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी जल्द चुनाव आयोग से संपर्क करेगी ताकि राजधानी में नवंबर में ही चुनाव कराए जा सकें। इस पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग जल्द से जल्द नई सरकार चुनने के लिए उत्सुक हैं।

आम आदमी पार्टी के अन्य नेताओं ने भी इसी तरह की मांग की है। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के लोग बेसब्री से चुनाव चाहते हैं। वह फिर से आम आदमी पार्टी को सत्ता में लाने के लिए तैयार हैं। साथ ही, मंत्री आतिशी ने भी महाराष्ट्र के साथ दिल्ली में चुनाव कराने का सुझाव दिया।

विपक्ष का हमला

केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद विपक्षी दलों ने भी अपने बयान जारी किए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे ‘पीआर स्टंट’ करार दिया, जबकि दिल्ली कांग्रेस ने भी केजरीवाल के फैसले को महज दिखावा बताया। भाजपा के प्रवक्ता ने कहा कि केजरीवाल अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस ने इसे जनता को भ्रमित करने की चाल बताया।

आगे की प्रक्रिया

मंगलवार को अरविंद केजरीवाल अपना आधिकारिक इस्तीफा सौंपेंगे। इसके बाद जब उनका इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा, तो आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी। इसमें नए मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति बनाई जाएगी।

विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद उपराज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति को सूचना दी जाएगी, और फिर नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह होगा। आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि यह पूरी प्रक्रिया एक सप्ताह के भीतर पूरी हो सकती है।

दिल्ली की राजनीति की अगली कड़ी

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आम आदमी पार्टी के विधायक दल किसे अगला मुख्यमंत्री चुनते हैं और क्या दिल्ली में समय से पहले चुनाव हो पाते हैं। अरविंद केजरीवाल की इस्तीफा देने की घोषणा से दिल्ली की राजनीति में हलचल मच गई है, और आगे की घटनाओं पर सबकी नजरें टिकी होंगी।

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