रिपोर्ट–कुलदीप पंडित
बागपत। बागपत के बरनावा गांव स्थित बदरुद्दीन की मजार और लाक्षाग्रह को लेकर पिछले 50 वर्षों से कोर्ट में मुकदमा चल रहा हैं। आगामी 12 सितंबर को इस मामले पर बागपत सिविल कोर्ट फैसला सुना सकता है। हिंदू पक्ष मजार को लाक्षागृह का हिस्सा बता रहा है। जबकि मुस्लिम पक्ष इस हिस्से को बदरुद्दीन की मजार और उसके आस पास उनके अनुयायी की कब्र बताता है। इस मामले को लेकर 1970 में मुकीम खा ने मेरठ सिविल कोर्ट में वाद दायर किया था, जो अब तक बागपत कोर्ट में चल रहा है।
♦जनपद बागपत में भी ज्ञानवापी और अयोध्या मंदिर जैसा विवाद
♦50 साल से मजार पर मालिकाना हक को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच मुकदमा#court pic.twitter.com/yT0tdrLjOq
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दरअसल आपको बता दें कि बरनावा गांव निवासी मुकीम खां ने वर्ष 1970 में वाद दायर करते हुए मेरठ अदालत से मालिकाना हक की मांग उठाई थी। अलग जिला बनने के बाद ये मामला बागपत कोर्ट में ट्रांसफर हो गया था। जो अब सिविल कोर्ट में विचाराधीन है। मुकीम खान ने टीले पर बदरुद्दीन शाह की दरगाह और मजार होने का दावा किया था। जो सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में बतौर वक्फ प्रोपर्टी रजिस्टर्ड है। मामले में ब्रह्मचारी कृष्णदत्त महाराज को प्रतिवादी बनाया गया था। जिसमें आरोप लगाया था की कृष्ण दत्त इसे खत्म कर हिंदुओं की तीर्थ बनाना चाहते है।
♦बागपत के बरनावा लाक्षा ग्रह स्थित मजार को लेकर चल रहा मुकदमा
♦आगामी 12 तारीख को मामले में बागपत कोर्ट सुना सकती है अपना फैसला pic.twitter.com/zfe0NiZxcN
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जानकारी के लिए बता दें कि जबकि कृष्णदत्त ने दावा किया था, की प्राचीन टीला और मजार लाक्षा गृह का हिस्सा हैं। जहां पर कोई भी मजार और कब्रिस्तान कभी नही रहा। टीले की कुछ भूमि का एएसआई सर्वेक्षण ने अधिग्रहण कर रखा है। शेष भूमि पर गांधी आश्रम समिति द्वारा महानद संस्कृत विद्यालय का संचालन हो रहा हैं। पिछले 50 साल से चल रहे विवाद का अब निपटारा होने की उम्मीद है। अब मामला फैसले की सुनवाई की तरफ बढ़ रहा है। जिसमे 12 सितंबर को फैसला होना तय माना जा रहा है।