ज्ञानवापी परिसर का छठे दिन ASI सर्वे जारी, जानिए आज क्या होगा?

KNEWS DESK… वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर का ASI सर्वे इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर लगातार चल रहा है. आज यानी 9 अगस्त को सर्वे का छठा दिन है. तय समय के अनुसार आज भी ASI की टीम आठ बजे कैंपस पहुंची और एक बार फिर सर्वे शुरू कर दिया है. इस सर्वेक्षण कार्य में भारतीय पुरातत्व विभाग के लगभग 50 अधिकारी लगे हुए हैं. सर्वे के लिए ASI टीमें बनाकर काम कर रही है और पूरे परिसर के अलग-अलग हिस्सों का वैज्ञानिक तरीके से सर्वे किया जा रहा है.

दरअसल आपको बता दें कि ASI की टीम ने मंदिर की पश्चिमी दीवार से सर्वे का काम शुरू किया, इसके बाद टीम बेसमेंट तक पहुंची और फिर मस्जिद के गुंबदों का भी निरीक्षण किया. मंगलवार को ASI टीम का एक सदस्य गुंबद पर नजर आया, इस दौरान इंचीटेप से गुंबद को मापता नजर आया. ASI टीम के एक सदस्य ने जहां गुंबद पर बनी खिड़की जैसी आकृति को मापा, वहीं एक सदस्य सीढ़ी के सहारे गुंबद के पश्चिमी छोर पर भी नजर आया. कोर्ट के आदेश पर ज्ञानवापी का सर्वे इस तरह से किया जा रहा है कि इसकी संरचना को कोई नुकसान न हो. यह सर्वे पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है. ASI टीम ने अब तक कॉम्प्लेक्स की 3डी इमेजिंग और मैपिंग की है और इसका एक डिजिटल मैप बनाया है, ताकि कॉम्प्लेक्स को समझने में आसानी हो सके. हालांकि, अब तक यहां ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार के जरिए जांच शुरू नहीं की गई है.

हिंदू पक्ष का दावा

जानकारी के लिए बता दें कि इस सर्वे को लेकर हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि तहखाने के अंदर मंदिर से जुड़ी कलाकृतियां बनाई गई हैं. तहखाने में त्रिशूल, मूर्तियां, कलश और कमल के फूल जैसी आकृतियां मिलने का दावा किया गया है. हालांकि मुस्लिम पक्ष की ओर से इस पर आपत्ति भी जताई गई. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सर्वे को लेकर गलत अफवाह फैलाई जा रही है. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने तो यहां तक कह दिया है कि अगर मीडिया में ऐसी अफवाहें फैलती रहीं तो वे खुद को सर्वे से अलग कर लेंगे.

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सर्वे से जुड़ी बातें बाहर आने पर मुस्लिम पक्ष नाराज है. अंजुमन इंतजामिया कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने कहा कि हिंदू पक्ष जिसे त्रिशूल बता रहा है, वह असल में अल्लाह का लिखा हुआ है. वहीं, गुंबद के नीचे शंकु का आकार मिलने पर अखलाक अहमद ने कहा कि दुनिया में जितने भी बड़े गुंबद हैं, वे दो हिस्सों में ही बने हैं. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हवा पार हो सके, अन्यथा गुंबद गिर सकता है.

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