जमीन का टुकड़ा खरीद कर कोई भी बना सकता है अपना देश! जानिए कैसे?

केन्यूज डेस्क:विवादित धर्मगुरु और भगोड़ा घोषित हो चुके नित्यानंद का नाम दोबारा  से चर्चा में बना हुआ  है, कैलासा नाम का काल्पनिक देश बना चुके नित्यानंद का दावा है कि उसके देश को संयुक्त राष्ट्र से मान्यता प्राप्त हो चुकी है,हाल ही में UN की बैठक में कैलासा की प्रतिनिधि भी दिखी,आपको बता दें कि क्या सच में नित्यानंद की तरह बना सकता है अपना देश?

 

वर्ष 2019 में स्वामी नित्यानंद पर बलात्कार और बच्चों के किडनैपिंग का मामला दर्ज हुआ था,जिसके बाद वो लापता हो गए,और कुछ समय बाद पता चला कि नित्यानंद ने अपना देश बना लिया,कैलासा नाम के कथित टापूनुमा देश को दुनिया का सबसे बड़ा हिंदु राष्ट्र कहते हुए लोगों से कहा कि जो लोग इस देश में निवास करना चाहते है वो आ सकते है,देश की आधिकारिक वेबसाइट बन चुकी है,जिसमें वहां के तामझाम को दर्शाते हुए कहा,

कैलासा की अलग मुद्रा है उसको कैलासियन मुद्रा कहते है,भगोड़े नित्यानंद ने  दावा कि उन्होनें कुछ देशो से बात कर रखी है ,ताकि उनका पैसों का लेनदेन दूसरे देशों से चलता रहे, कैलासा में स्वतंत्र देश होने का दावा किया जा रहा है,इस देश में गृह मंत्रालय भी है,और सभी मंत्रालय होने का दावा किया जा रहा,

कहां है ये काल्पनिक देश

साउथ अमेरिका में कई द्वीपीय देश ऐसे हैं,जहां के आइलैंड खरीदा जा सकता है,कई बार देखने को मिला है कि रईस बिजनेसमैन ऐसा करते हैं, और टापू को छुट्टियों को मनाने के लिए अलग तरीके से तैयार कर लेते हैं, आईलैंड की कीमतें लोकेशन के हिसाब से कम ज्यादा होती रहती है,मगर सेंट्रल अमेरिका में टापू की कीमतें सस्ते में मिल जाती हैं,जबकि यूरोप में टापू की कीमतें बढ़ जाती हैं,  बहामास और फ्रेंच पोलिनेशिया जैसे इलाकों में टापू खरीदना आसान नहीं हैं,

भगोड़ा और अपराधी घोषित होने के बाद देश को मान्यता नहीं हुई पक्की

नित्यानंद ने इक्वाडोर में एक टापू खरीद कर अपना देश बनाने का दावा किया है,इसे रिपब्लिक ऑफ कैलासा नाम दिया है,दूसरे देशो की तरह इस देश में भी मान्यता-प्राप्त भाषाएं है,कमल के फूल को यहां देश का नेशनल फूल का दर्जा दिया गया है,और नेशनल पशु को नंदी घोषित किया गया है,फिलहाल UN  से मान्यता मिलने के बारे में कुछ कहा नही जा सकता,क्योंकि नित्यानंद को भगोड़ा घोषित करने के बाद इंटरपोल ने भी नोटिस जारी कर रखा है,

कोई भी बना सकता है अपना देश?

कोई भी जमीन का छोटा मोटा टुकड़ा खरीद कर कोई भी देश बना पाना तो बिल्कुल अलग है,देश बनाने के लिए शर्ते पूरी होनी चाहिए,यह दर्शाना चाहिए कि देश की सीमा की शुरुआत कहा से हुई है और कहां खत्म हुई है, यह जरुरी होना चाहिए ,

आसान नहीं है मान्यता मिलना

अक्सर कई बार छोटे देश एक-दूसरे को मान्यता स्वीकृत कर देते है,ताकि आपस में लेनदेन का साझा कर सकें, लेकिन वास्तव में UN से स्वीकृत मिलना है,क्योंकि इसके बाद लोन लेने के लिए आसानी हो जाती है,ताकि विश्व बैंक से IMF तक देश के लिए कर्ज मांग सके, और साथ ही साथ देश के तमाम बड़े मुद्दो को पहुंचाना बड़ी बात होती है, अगर कोई देश UN से स्वीकृत नहीं है तो उसको अपनी समस्या वहां तक पहुंचा पाना बहुत ही जटिल होता है,

ऐसे देता है UN स्वीकृत

UN से स्वीकृत पाने के लिए चोटी एड़ी का जोर लगाना पड़ता है,बाकी कुछ जरुरी नियम मानने होते है,मान्यता पाने के लिए की जनरल सेक्रेटरी को इस विषय पर लेटर लिखना पड़ता है,जिसके बाद UN चार्टर में इस पर चर्चा होती है कि आपका देश अलग है,और देश और दुनिया के लिए कितना फायदेमंद है,और कई बार इन सब चीजों को बता पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है,जिसकी वजह से स्वीकृत पाने के लिए भटकना पड़ता है,

ये देश रहे है विवादित

साल 1945 में UN के पास महज 51 देश थे, जो बढ़कर 193 हो गए है, ये खेल स्वीकृत का ही नहीं, बल्कि इसका भी है कि देश टूटकर अलग होते हैं, गुलाम देश आजाद हो जाते है, कई लोग भाषा व संस्कृति के आधार पर अपना देश का दावा कर सकते हैं,उदाहरण के तौर पर पाकिस्तान से टूटकर बांग्लादेश बना,अब पाकिस्तान का दूसरा हिस्सा जो खुद को आजाद बलूचिस्तान इकरार कर रहा है,अगर ऐसा हुआ तो देशो की संख्या में इजाफा देखने को मिलेगा,वहीं चीन अगर तिब्बत पर कब्जा कर लेता है तो एक देश कम हो जाएगा,इस तरह से देशों की संख्या में उतार-चढाव होता रहता है,अगर नए देश बन रहे है तो वहीं पुराने देश की संख्या कम हो रही है,

सबसे जरुरी है देश की इकनॉमी

सबसे पहले तो आपने अगर देश बनाया है तो आपके पास उस देश में निवास करने के लिए जनता का होना भी बहुत जरुरी है,फिर जनता के जीवन यापन करने के लिए वहां की अर्थव्यवस्था का भी बहुत महत्वपूर्ण रोल है,उसे अपना सामान बेचना व दूसरे देशों से सामान खरीदना होगा,इसके लिए मुद्रा का होना जरुरी है, अगर यह सारी चीजें आपके पास है तो आप अपना देश बना सकते है,

 

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