KNEWS DESK- जिस देश के किसान अमीर होते हैं, उन देशों को अमीर देशों में गिना जाता है। किसान सिर्फ अन्नदाता ही नहीं बल्कि बड़ी मात्रा में दूध, फल और सब्जी उत्पादक भी है। भारत दुनिया का दूध में प्रथम, फल और सब्जी उत्पादन में द्वितीय स्थान पर होने का श्रेय किसानों को ही जाता है। हमें डॉक्टर ,वकील और पुलिस की जरूरत जीवन में कभी-कभी होती है लेकिन किसान की जरूरत दिन में तीन बार होती है। खबर महाराष्ट्र के मराठवाड़ा की है जहां हर दिन तीन किसान आत्महत्या कर रहे हैं वहीं पिछले पांच महीनों का आंकड़ा देखें तो मराठवाड़ा में 391 किसानों ने अपनी जान दे दी है। देश में ये कोई नया मामला नहीं है और न ही अंतिम। आंकड़ों के मुताबिक देश में हर दो घण्टे में एक किसान अपनी जान कुर्बान कर रहा है।
मराठवाड़ा में जिलेवार आत्महत्याएं
छत्रपति संभाजीनगर- 50
जालना- 25
परभणी- 32
हिंगोली- 13
नांदेड़- 65
बीड- 98
लातूर- 28
धाराशिव- 80
2022 में 1023 किसानों ने दी है कुर्बानी
महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में बीते कई सालों से किसानों की स्थिति ठीक नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक ,मराठवाड़ा में साल 2022 में 1023 किसानों ने आत्महत्या की थी। इसी साल जनवरी में औरंगाबाद के डिवीजनल कमिश्रनर थी| डिवीजनल कमिश्नर ने बताया था कि 2001 से 2022 के दौरान क्षेत्र में 14431 किसान खुदकुशी कर चुके हैं। 2011 से 2020 के बीच किसानों की आत्महत्या के सबसे ज्यादा मामले 2015 में आए थे, जब 1133 किसानों ने आत्महत्या की थी. 2006 में 379 किसानों ने आत्महत्या की थी, जो 2001 से 2010 के दौरान सबसे ज्यादा संख्या थी। किसानों के लिए काम करने वाले एक्टिविस्टों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में इस इलाके में सूखे की स्थिति रही है, जिसने किसानों की समस्या बढ़ा दी है साथ ही क्षेत्र में सिंचाई नेटवर्क के पूरी क्षमता से इस्तेमाल न होने की बात भी कही है।