दिल्ली के जंतर मंतर पर न्याय मांगने बैठे चैम्पियन पहलवानों की लड़ाई अब जातियों के आपसी वर्चस्व की चपेट में आने लगी है. पहलवानों के साथ खाप पंचायतें खड़ी हो गयी हैं तो वहीं कुश्ती संघ के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह के पक्ष में क्षत्रिय बिरादरी के नेता लामबंद होने लगे हैं.
पहलवानों के धरने पर बैठने के बाद सियासत भी सक्रिय हो गयी थी और तमाम विपक्षी दलों के नेता पहलवानों से मिल कर अपना समर्थन देने लगे थे. बात वहां तक तो फिर भी ठीक थी और मुद्दा पहलवानों की मांगों पर ही केंद्रित दिखाई दे रहा था, मगर उसके बाद जब किसान नेता राकेश और नरेश टिकैत वह पहुंचे और यह घोषणा कर दी कि पहलवानों के समर्थन में हर रोज खाप पंचायतों के लोग वहां पहुंचेंगे तब ब्रजभूषण सिंह के समर्थन में क्षत्रिय समाज के नेताओं ने भी कमर कस ली. एक तरफ जंतर मंतर पर जाट बिरादरी की खाप पंचायते जुटने लगी हैं तो दूसरी तरफ क्षत्रिय समाज के नेता खुलकर बोलने लगे हैं. इन नेताओं के भाषण में ट्रैक्टर के जवाब में बुलडोजर खड़ा करने की बात कही जा रही है।
पश्चिमी यूपी के फायरब्रांड नेता संगीत सोम भी इस मामले में कूद पड़े हैं. सोम ने एक बयान में कहा – क्षत्रिय समाज इतना कमजोर नहीं है कि किसी जाति बिरादरी के लोगों से डर जाएगा. क्षत्रिय समाज सिर्फ भगवान से डरता है. शिरोमणि महाराणा प्रताप का जीवन वृत इसका प्रमाण है. क्षत्रिय समाज के डीएनए में डरना नहीं लिखा है. कोई जाति वर्ग अपने निजी सियासी लाभ के लिए क्षत्रिय समाज को झुकने पर मजबूर नहीं कर सकता. सोम इस मामले में खाप पंचायतों की सक्रियता को एक बड़ी साजिश की तरह देख रहे हैं.
महाराणा प्रताप की जयंती पर ब्रजभूषण सिंह के गृह जिले गोंडा में क्षत्रिय युवा वाहिनी ने एक महापंचायत आयोजित की जिसमें आस पास के 50 से ज्यादा ग्राम प्रधान और स्थानीय नेता जुटे. इस महाराणा प्रताप जयंती के नाम पर हुए इस कार्यक्रम का उद्देश्य ब्रजभूषण सिंह के पक्ष में क्षत्रिय समय को गोलबंद करना था. महापंचायत में खाप पंचायतों को टुकडे टुकडे गैंग का सहयोगी बताते हुए सीधे निशाने पर रखा गया. नेताओं का कहना था कि जाट बिरादरी के नेता इस मामले में शामिल हो कर इसे अनावश्यक तूल दे रहे हैं.
क्षत्रिय युवा वाहिनी के संयोजक अमित सिंह ने इस महापंचायत में सीधे ऐलान कर दिया है कि वे अब चुप नहीं रहेंगे और बृजभूषण शरण सिंह के समर्थन में 4 हजार कार्यकर्ता बुलडोजर लेकर दिल्ली जाएंगे. वाहिनी के सदस्य स्वतंत्र सिंह का कहना है कि धरने को अब देश विरोधी ताकतें भी समर्थन देने लगी हैं और टुकड़े-टुकड़े गैंग के लोग धरने के पक्ष में आ गए हैं और यह एक चिंताजनक बात है, दिल्ली के आसपास ही क्षत्रियों के 200 गांव हैं, यहां से सिर्फ 20 प्रतिशत लोग भी दिल्ली पहुंच गए तो खाप पंचायत उड़ जाएंगी.
अब जबकि ब्रजभूषण सिंह से पूछताछ का सिलसिला शुरू हो गया है और अगली 21 तारिख फैसलाकुन होने वाली है , ऐसे में पहलवानों के जरिये जातीय गोलबंदी क्या गुल खिलाती है और उसका असर यूपी की सियासत पर क्या होता है ये देखने वाली बात होगी.