के-न्यूज वर्ष 2021 में लाये गए सरोगेसी कानून के प्रावधान जिसमे कहा गया है, की भारतीय महिलाएं जो 35 से 45 की उम्र के बीच विधवा या तलाकशुदा है वो अपनी मर्जी से सरोगेसी का लाभ उठा सकती है। अब इसी प्रावधान पर सवाल खड़े होने लगे है और सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस पुरे मामले का व्योरा मांगा है।
सरोगेसी कानून को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जी द्वारा मान्यता मिलने के बाद इस कानून को देश में लागु किया गया। इस कानून में बतया गया की जो महिलाएं 35 से 45 की उम्र के बीच में विधवा या तलाकशुदा हो गई है अब वो भी सरोगेसी कानून की मदद से बच्चे पैदा कर सकती है। बीते कुछ सालों से तमात बड़ी हस्तियां सरोगेसी का रास्ता अपनाया। लेकिन अब ऐसी कानून के कुछ प्रावधानों ने विवाद खड़ा कर दिया है, और ये विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। इस कानून पर आरोप जताते हुए कहा की अविवाहित महिलाओं के बारे में इस कानून में कोई प्रावधान नहीं है। अगर कोई अविवाहित महिला सरोगेसी का रास्ता अपनाती है तो उसे दोषी शाबित किया जाये गा।
सरोगेसी बिल पेश करते समय केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने राज्यसभा में कहा था की ये कानून कमर्शियल सरोगेसी को रोकेगा। उन्होंने कहा की अविवाहित महिलाएं आर्थिक तंगी के चलते अपनी कोख को किराये पर देती हैं जो कि कानूनी अपराध है और ये कानून ऐसे ही अपराधों को रोकने के लिए लाया जा रहा है।
चेन्नई के आईवीएफ विशेषज्ञ अरुण मुथुवेल ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई की ये कानून उन महिलाओं के लिए परेशानी की वजह बन सकता हैं। जो महिलाएं वास्तव में बच्चों की चाह रखती है,साथ ही मुथुवेल का कहना है इस कानून में कहनी भी महिला के स्वास्थ के विषय में चर्चा नहीं की गई है।
सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने सरकार से पुरे मामले में जवाब मांगा है।