KNEWS DESK- कांग्रेस नेता राहुल गांधी की हाल ही में कॉर्डिनेशन कमेटी फॉर पीस (CCP) के प्रतिनिधिमंडल से हुई मुलाकात ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इस बैठक पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कांग्रेस पर माओवादियों के प्रति नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया है।
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक विस्तृत पोस्ट साझा कर राहुल गांधी की मंशा पर सवाल खड़े किए। उन्होंने लिखा “जब भारत नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है, तब राहुल गांधी का माओवादी समूह के शुभचिंतकों से मिलना बेहद चिंताजनक है।”
मालवीय ने कहा कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन ‘कगार’ के तहत सीपीआई (माओवादी) कैडर को भारी नुकसान हो रहा है। ऐसे में एक तथाकथित शांति समिति द्वारा संघर्षविराम की मांग करना और राहुल गांधी से उसमें हस्तक्षेप की अपील करना, सुरक्षा बलों के मनोबल को तोड़ने जैसा है।
क्या है सीसीपी (CCP)?
बीजेपी के अनुसार, कॉर्डिनेशन कमेटी फॉर पीस (CCP) हाल ही में दिल्ली में गठित एक समिति है, जिसका उद्देश्य सरकार और सीपीआई (माओवादी) के बीच संघर्षविराम और शांति वार्ता स्थापित करना है। यह समिति कथित तौर पर यह दावा कर रही है कि सरकार द्वारा चलाए जा रहे माओवादी-विरोधी अभियानों में आदिवासी समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है।
सीसीपी के प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख लोग-
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कविता श्रीवास्तव (मानवाधिकार कार्यकर्ता)
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प्रोफेसर जी. हरगोपाल (सेवानिवृत्त शिक्षाविद्)
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जस्टिस चंद्र कुमार (सेवानिवृत्त न्यायाधीश)
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डॉ. एमएफ गोपीनाथ (भारत बचाओ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष)
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दिनेश मुर्मू (झारखंड जन अधिकार महासभा)
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मीना कांदासामी (लेखिका व सामाजिक कार्यकर्ता)
मालवीय का यह भी दावा है कि सीसीपी प्रतिनिधियों ने राहुल गांधी से तेलंगाना की कांग्रेस सरकार को संघर्षविराम वार्ता में शामिल करने के लिए राजी करने की अपील की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने कथित तौर पर इस अनुरोध पर विचार करने का आश्वासन दिया। इस विवाद के बाद कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। न ही यह स्पष्ट है कि राहुल गांधी की इस मुलाकात को पार्टी की नीति का हिस्सा माना जाए या यह व्यक्तिगत पहल थी।