क्यों पड़ी जरूरत ?
दिल्ली- आज से करीब 75 साल पहले 15 अगस्त 1947 में देश को मिली आजादी के बाद भी देश के सामने, देश को एकीकृत करने व एक विधान से चलाने की चुनौती थी, क्योकिं उस वक्त देश में कुल 562 रियासतें थीं और इन सबके अपने अपने अलग विधान बने थे। खैर इन रियासतों को एकीकृत करने का जिम्मा तो सरदार पटेल ने बखूबी निभाया और वो इसमें सफल भी रहे। इसके बाद देश के सामने चुनौती थी, विभिन्न रियासतों के जुड़ने के बाद सब पर एक नियम एक कानून लगाने की, जिसके बाद से देश में अंग्रेजों से इतर अपने नियम कानून बनाने की जरूरत महसूस की गयी। इस जरूरत को पूरा करने के लिये ही देश में संविधान सभा का गठन कर संविधान बनाने की प्रकिया शुरू की गयी।
26 जनवरी 1950 को लागू हुआ देश का संविधान
बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के नेतृत्व में गठित संविधान सभा ने संविधान निर्माण की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद यूरोप से अफ्रीका व अमेरिका तक विभिन्न देशों के भ्रमण और वहां उनके लिखित संविधान के अध्ययन के बाद 2 साल 11 महीने और 18 दिन में अंतत: देश का संविधान बनकर तैयार हो चुका था। जिसे 26 नवम्बर 1949 को देश की संसद के सदस्यों की सहमति के बाद आखिरकार पूरे देश में 26 जनवरी 1950 को लागू करने का आहावन हुआ। इसकी तारीख 26 जनवरी इसलिये रखी गयी क्योंकि 26 जनवरी साल 1929 को ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर तिरंगा फहराते हुये अंग्रेजों के खिलाफ पूर्ण स्वराज का ऐलान किया था। इसके बाद अंतत: 26 जनवरी 1950 को भारत को एक गणतांत्रिक राष्ट्रघोषित करते हुये देश का संविधान लागू किया गया।
संविधान में कितने अनुच्छेद, कितनी अनुसूचियाँ
इसके निर्माण के समय मूल संविधान में 395 अनुच्छेद हैं जोकि 22 भागों में विभाजित थे इसमें केवल 8 अनुसूचियाँ थीं लेकिन भारतीय संविधान में वर्तमान समय में भी केवल 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियाँ हैं और ये 25 भागों में विभाजित है।