KNEWS DESK… मणिपुर में 3 मई से चल रही हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. आज यानी 26 जुलाई को एक बार फिर से हिंसा उग्र हो गई है. कांगपोकपी जिले में उपद्रवियों ने सुरक्षाबलों की 2 बसों में आग लगा दी. अधिकारियों ने घटना की जानकारी देते हुए बताया है कि आगजनी के दौरान जान-माल को कोई नुकसान नहीं हुआ है.
दरअसल आपको बता दें कि घटना सपोर्मिना में उस समय हुई जब बसें मंगलवार शाम दीमापुर से आ रही थीं. अधिकारियों ने बताया कि हिंसा में शामिल एक समुदाय के लोगों ने मणिपुर पंजीकरण संख्या वाली बस को सपोर्मिना में रोका. बस रोकने के बाद लोगों के एक समूह ने कहा कि वे जांच करेंगे कि बस में दूसरे समुदाय का कोई सदस्य तो नहीं है. अधिकारियों ने कहा कि जब उन्हें दूसरे समुदाय का कोई व्यक्ति नहीं मिला तो उनमें से कुछ ने बसों में आग लगा दी.
जानकारी के लिए बता दें कि मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति का दर्जा पाने की मांग कर रहा है. अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने के बाद ही वे पहाड़ी इलाकों में बस सकते हैं। मैतेई समुदाय की इसी मांग पर 3 मई को पहाड़ी जिलों में आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. तब से हिंसा जारी है. ताजा जानकारी के मुताबिक, हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग घायल हुए हैं.
गौरबतल हो कि मणिपुर की कुल आबादी का 53 फीसदी हिस्सा मैतेई समुदाय का है. मैतेई मुख्यतः इम्फाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नागा और कुकी जैसे आदिवासी करीब 40 फीसदी हैं. ये समुदाय अधिकतर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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