भारत ने मनाया 92वां शहीद दिवस, भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को दी श्रद्धांजलि

KNEWS DESK,  भारतवर्ष में हर साल 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है| आज ही 1931 में क्रन्तिकारी  भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को ब्रिटिश राज में फांसी पर चढ़ाया गया था| इन तीनों स्वतंत्रता सैनानियों की मृत्यु को आज पूरे 92 वर्ष हो गए हैं| इनके बलिदान को याद करते हुए ही आज के दिन को शहीद दिवस घोषित किया गया था|  लेकिन, भारत में कई शहीद दिवस मनाए जाते हैं जिनमें 30 जनवरी भी शामिल है| 30 जनवरी को ही महात्मा गांधी की हत्या की गई थी जिसके बाद से इस दिन को भी शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा|

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव शुरू से ही ब्रिटिश राज के खिलाफ थे और भारत को आजाद कराना चाहते थे| लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए तीनों ने विद्रोह करने का सोचा तीनों को ब्रिटिश सरकार ने अलग-अलग मामलों के तहत गिरफ्तार किया था| जिसमें ब्रिटिश पुलिस अफसर जोह्न सोंडर्स की हत्या का इल्जाम भी शामिल था| दरअसल सर जोह्न साइमन के लाहौर आने के बाद लाला लाजपत राय ने ‘साइमन गो बैक’ स्लोगन के साथ शांतिपूर्ण धरना करना शुरू किया था| इसपर जेम्स स्कोट के आदेश पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया जिसमें घायल होने पर लाला लाजपत राय की मौत हो गई थी|

लाला लाजपत राय की मृत्यु के बाद ही तीनों ने जेम्स स्कॉट की हत्या की साजिश रची मगर पुलिस अफसर जोह्न सोंडर्स की हत्या करने में वो तीनों सफल हो गए | इसके अलावा, भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ब्रिटिशकालीन केंद्रीय विधानसभा पर हमले का प्लान बना रहे थे जो पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिस्प्यूट एक्ट के खिलाफ था| बम फोड़ने की योजना 8 अप्रेल, 1929 के दिन निर्धारित की गई जो सफलतापूर्वक हो गया|

इसके बाद वो तीनों वहाँ से भागे नहीं इसके बाद इस तीनों को गिरफ्त में ले लिया गया और 23 मार्च, 1931 में फांसी के फंदे पर लटकाया गया|

हर साल भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर के बलिदान को याद करते हुए शहीद दिवस मनाया जाता है| जिस समय तीनों को फांसी हुई थी तब भगत सिंह और सुखदेव केवल 23 वर्ष के थे और राजगुरु की उम्र 22 साल थी| अपने देश की स्वतंत्रता के लिए तीनों ने अपनी जिंदगी कुरबान कर दी|

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