KNEWS DESK- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए एक बार फिर देशवासियों से सीधे संवाद किया। लेकिन इस बार का संवाद कुछ अलग था। यह सिर्फ सामान्य बातें करने का माध्यम नहीं रहा, बल्कि पीएम मोदी ने भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय – आपातकाल (Emergency) की चर्चा कर देशवासियों को इतिहास के उस दर्दनाक दौर की याद दिलाई, जिसने देश की लोकतांत्रिक नींव को हिला दिया था।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आपातकाल का वह दौर ऐसा था जिसमें संविधान की हत्या कर दी गई थी। न्यायपालिका को गुलाम बनाने की कोशिश की गई, प्रेस की आजादी छीन ली गई और लाखों लोगों को बिना किसी कारण जेल में बंद कर दिया गया।”
पीएम मोदी ने कहा कि इंदिरा गांधी सरकार ने देश पर मनमाने ढंग से शासन किया। उन्होंने कहा कि यह भारत का वह काला सच है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
पीएम मोदी ने देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के एक भाषण की क्लिप साझा की, जिसमें उन्होंने आपातकाल के दौरान जनता को हुई पीड़ा को उजागर किया था। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बात भी दोहराई जिसमें उन्होंने कहा था, “यह सिर्फ चुनाव नहीं, एक शांतिपूर्ण क्रांति थी। लोकतंत्र की हत्या करने वालों को देश की लोकशक्ति ने इतिहास के कूड़ेदान में फेंक दिया।”
पूर्व उप-प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की आवाज भी मन की बात में गूंजी, जिन्होंने कहा था कि भारत के मतदाताओं ने तानाशाही की धारा को मोड़ दिया और लोकतंत्र को मजबूत किया।
पीएम मोदी ने बताया कि आपातकाल के दौरान MISA (Maintenance of Internal Security Act) के तहत लाखों लोगों को बिना किसी ठोस कारण के गिरफ्तार किया गया। उन्होंने जॉर्ज फर्नांडिस का उदाहरण दिया, जिन्हें जंजीरों में बांधा गया और कठोर यातनाएं दी गईं। “MISA के तहत सरकार को किसी भी नागरिक को बिना सूचना दिए हिरासत में लेने का अधिकार था, और इसका जमकर दुरुपयोग हुआ,” पीएम ने कहा।
पीएम मोदी ने कहा कि “इतना सब होने के बाद भी भारत की जनता ने तानाशाही के सामने घुटने नहीं टेके। जनता ने लोकतंत्र के लिए लड़ाई लड़ी और आखिरकार तानाशाही हार गई, लोकतंत्र की जीत हुई।”
उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में आपातकाल की 50वीं बरसी के मौके पर देशवासियों ने ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में इसे याद किया। उन्होंने देश की नई पीढ़ी से आग्रह किया कि वे उन लोगों को याद रखें जिन्होंने इस काले दौर के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और भारत के संविधान की रक्षा की।
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