KNEWS DESK- चंद्रयान-3 इस समय चांद के कक्षा पर है। 5 अगस्त की शाम करीब 7 बजे से साढ़े सात बजे के बीच इसे चंद्रमा के पहले ऑर्बिट में डाला जाएगा। अगर चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ नहीं पाएगा तो वह करीब 10 दिन बाद वापस 236 किलोमीटर वाली पेरीजी में वापस आ जाएगा। फिलहाल, चंद्रयान 38,520 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चंद्रमा की तरफ जा रहा है।
आपको बता दें कि 100 किलोमीटर का ऑर्बिट 17 अगस्त को अचीव होगा। उसी दिन प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे। 18 और 20 अगस्त को लैंडर मॉड्यूल की डीऑर्बिटिंग होगा। चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल धीमे-धीमे चंद्रमा के 100×30 किलोमीटर के ऑर्बिट में जाएगा। इसके बजे लैंडिंग होगी। मिली जानकारी के अनुसार, चंद्रयान-3 इस समय 38,520 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चांद की ओर जा रहा है। ISRO के वैज्ञानिक अब हर दिन इसकी गति थोड़ी-थोड़ी धीमी करेंगे। क्योंकि जिस समय यह चांद के नजदीक पहुंचेगा। उसकी सतह से करीब 11 हजार किलोमीटर दूर वहां पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण जीरो होगा। चंद्रमा की ग्रैविटी पृथ्वी की ग्रैविटी से 6 गुना कम है। इसलिए चंद्रयान-3 की गति भी कम करनी पड़ेगी। नहीं तो वह चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ नहीं पाएगा घबराने की जरुरत नहीं है। अगर ऐसा होता है तो चंद्रयान-3 करीब 10 दिन बाद वापस 236 किलोमीटर वाली पेरीजी में वापस आ जाएगा।
चंद्रयान-3 की गति को किया जाएगा कम
5 अगस्त से लेकर 23 अगस्त तक चंद्रयान-3 की गति को लगातार कम किया जाएगा। चंद्रमा की ग्रैविटी के हिसाब से फिलहाल चंद्रयान-3 की गति बहुत ज्यादा है। इसे कम करके 1 किलोमीटर प्रति सेकेंड पर लाना होगा यानी 3600 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार इस गति पर ही चंद्रयान-3 चंद्रमा के ऑर्बिट को पकड़ेगा। फिर धीरे-धीरे उसके दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराया जाएगा।
दक्षिणी ध्रुव के पास उतारा जाएगा लैंडर के लिए-चंद्रयान-3
जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक चंद्रयान-3 के इंटिग्रेटेड मॉड्यूल का मुंह चांद की ओर था। जल्द ही इसे घुमाया जाएगा। ताकि डीऑर्बिटिंग या डीबूस्टिंग करते समय चंद्रयान-3 को दिक्कत न हो। डीऑर्बिटिंग यानी जिस दिशा में चंद्रयान-3 चक्कर लगा रहा था। उसके विपरीत दिशा में घूमना डीबूस्टिंग यानी गति को कम करना इसी तरह से चंद्रयान-3 की गति कम करके दक्षिणी ध्रुव के पास इसको लैंडर के लिए उतारा जाएगा।