सरकार के बजट पर फिल्म इंडस्ट्री ने जताई नाराजगी..

बजट,  केंद्रीय बजट 2023 भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज (1 फरवरी) को संसद में पेश कर दिया है। कृषि से लेकर मनोरंजन तक, सभी क्षेत्रों के लोग यह जानने के लिए उत्सुक थे कि बजट 2023 में उनके लिए क्या है। मनोरंजन इंडस्ट्री की बात करें तो फैंस के साथ- साथ क्षेत्र के लोग भी कर दरों में कुछ बदलाव की उम्मीद कर रहे थे। जिसमें टिकट के दामों में कमी आएगी। साथ ही ओटीटी प्लैटफॉर्म सब्सक्रिप्शंस में भी चेंज आएगी।

पिछले तीन सालों से आर्थिक तंगी झेल रही फिल्म इंडस्ट्री का इस साल बजट में भी हाथ खाली ही रहा। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री का मानना था कि पिछले तीन सालों में रहे नुकसान को देखते हुए शायद सरकार उनके फेवर में कुछ स्पेशल अनाउंसमेंट करेगी। लेकिन लगता है  सरकार एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री को बजट में लाना ही भूल गई है।

1998 में मिला था इंडस्ट्री का दर्जा

फिल्म ऐंड टेलीविजन डायरेक्टर असोसिएशन के प्रेसिडेंट अशोक पंडित का कहना है, गर्वनमेंट को तो हम इंडस्ट्री स्टेटस के एक्जीक्यूशन को लेकर कई बार अप्रोच कर चुके हैं। बता दें, सुषमा स्वाराज के वक्त 1998 में हमें इंडस्ट्री का दर्जा मिला था।

उत्पादन लागत पर लगने वाले टैक्स

उत्पादन लागत के बारे में बात करते हुए गिरीश जौहर ने कहा कि उस पर लगने वाले टैक्स को रेगुलेट किया जाना चाहिए क्योंकि किसी भी प्रोजेक्ट को बनाने में खर्च काफी अधिक होता है।

GST दर कम होने से मिलेगा फायदा

फिल्म प्रोड्यूसर्स का संगठन इंडियन मोशन पिक्चर्स प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (इम्पा) पहले ही वित्त मंत्रालय को फिल्म उद्योग के लिए GST हटाने की या रेट कम करने की मांग उठा चुका है। फिलहाल 100 रुपये से ज्यादा की टिकट पर 18% और 100 रुपये से कम टिकट पर 12% GST लगता है। इससे आम दर्शकों को कम पैसे भुगतान करने होंगे और दर्शक सिनेमाघर तक पहुंचेंगे। प्रोड्यूसर्स को भी एग्जीबिटर्स से ज्यादा हिस्सा मिलेगा, जिससे इंडस्ट्री को फायदा मिल सकता है।

फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने मनोरंजन उद्योग की अपेक्षाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इसे “हमेशा नजरअंदाज किया गया है।” एएनआई से बात करते हुए पंडित ने कहा कि, आज तक किसी भी सरकार ने मनोरंजन उद्योग को गंभीरता से नहीं लिया है और इसे दूसरे उद्योगों के समान महत्व नहीं दिया गया है।

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