बिहार में महागठबंधन की भावी सरकार बनाने की चुनौती से निपटने का इंतजाम भाजपा ने कर लिया है। भाजपा ने छोटे दलों के साथ मिलकर सामाजिक रुप से महत्वपूर्ण ताकतों के साथ आगे बढ़ने की मुहिम में जुटी है। भाजपा चिराग पासवान, उपेन्द्र कुशवाहा, मुकेश सहनी, जीतनराम मांझी कोलेकर आगे बढ़ने की तैयारी में लगी हुई है। राजनीतिक जानकारों की माने तो भाजपा तीस-दस के फार्मूले पर सीटों का बटवारा कर सकती है। माना तो यह भी जा रहा है कि इन दलों के कुछ उम्मीदवार भाजपा के चिनह पर चुनाव लड़ सकते हैं।
दरअसल आपको बता दें कि बिहार के सीएम नीतिश कुमार ने विपक्षी एकता के 23 जून को पटना में एक सर्वदलीय बैठक करेंगे। इसमें देशभर के भाजपा विरोधी सभी खेमों को एकजुट होने आशंका जताई जा रही है। लोकसभा व विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच भाजपा के अंदर खेमे में एक बार चिंता जरूर देखने को मिल रही है क्योंकि भाजरा को हराने के लिए जहां पर देश की लगभग-लगभग सभी राजनीतिक दल एकजुट होते हुए दिखाई दे रहे हैं तो वहीं पर दूसरी तरफ भाजपा को इनका सामना करने के लिए कोई भी बड़ा सहयोगी दिखाई नहीं दे रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि आगामी राज्यों में होने वाले चुनावों में बिहार सबसे अहम माना जा रहा है। बिहार में जहां एक तरफ जेडीयू, राजद एवं कांग्रेस का महागठबंधन है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के पास अभी भी सिर्फ कुछ छोटी पार्टियां ही उनके सहयोगी दलों में शामिल हो सकी है। ऐसे में भाजपा महागठबंधन से बनने वाली सरकार को कड़ी चुनौती देने के लिए सामाजिक एवं राजनीतिक समीकरणों पर कार्य कर रही है। इसमें भाजपा ने नीतीश सरकार से नाराज एवं दूरी बनाए दलों को एकजुट करने का काम शुरू कर दिया है। साथ ही नीतीश से असंतुष्ट नेताओं को भी अपने खेमे में मिलाने का काम जोरों पर शुरू कर दिया है। भाजपा खासकर दलित समुदाय को साधने की कोशिश में लगी है। भाजपा का दावा है कि इन छोटे-छोटे दलों के साथ आने से जातिय एवं सामाजिक समीकरणों उनकों एवं उनके सहयोगी दलों को लाभ मिलेगा। दरअसल भाजपा की नजर अति पिछड़ी और महादलित पर है। भाजपा नेताओं का मानना है कि इनके साथ आने पर वह महागठबंधन पर भारी पड़ सकता है।