उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड में गोरखपुर के एसएसपी विपिन टांडा और यूपी एडीजी लॉ-एंड-ऑर्डर प्रशांत कुमार ने जिस जल्दबाजी में मनीष गुप्ता की हत्या को हादसा बताया उसने यूपी पुलिस की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। गोरखपुर जिले के कप्तान विपिन टांडा और यूपी के एडीजी लॉ-एंड-ऑर्डर प्रशांत कुमार का इतने बड़े ओहदे पर रहते हुए बिना किसी ठोस पड़ताल के इतनी बड़ी घटना को हादसा बताना किसी के गले नहीं उतर रहा ।
मनीष हत्याकांड को हादासा बताकर खाकी ने अपने साथियों को बचाने के लिए कैसे एक मनगढ़ंत कहानी बुनी ये बड़ा सवाल है.. बिना विवेचना के ही अफसरों ने तय कर दिया था कि ‘नकद नारायण’ और उनकी टीम दूध की धुली है.. न खाकी पर दाग है न उनका चरित्र दागदार है. भला हो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का जिन्होंने बिना वक्त गवाएं दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की पहल की । सीएम योगी खुद एक्शन में आए और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया। पीड़ित को न्याय का भरोसा दिया और हर वो संभव मदद की बात कही जो एक सूबे के मुखिया को करनी चाहिए थी.. लेकिन सवाल खाकी पर है।
साथियों को बचा रही खाकी ?
सवाल खाकी के उन जिम्मेदार अफसरों पर है.. सवाल जिले डीएम से है कि 72 घंटों से ज्यादा का वक्त बीत चुका है आखिर मनीष गुप्ता के गुनहगार अब तक कानून के शिकंजे से दूर क्यों हैं?, फिल्मों में अक्सर ये डॉयलॉग सुना जाता है कि कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं.. लेकिन गोरखपुर में हुए मनीष हत्याकांड में कानून के हाथों से ज्यादा अरोपी पुलिसवालों के पैर लंबे दिख रहे हैं.. यही वजह है कि हत्या आरोपी 6 पुलिसकर्मी अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं या फिर ये कहें कि खाकी खुद अपने साथियों को बचाने के लिए पूरा जोर लगा रही है !
तहरीर में 6 नामजद FIR में 3 अज्ञात
ये महज कयास नहीं ये असल सच्चाई भी है.. अगर ऐसा नहीं होता तो पीड़िता के द्वारा दी गई तहरीर में नामजद किए गए 6 आरोपी पुलिवालों के नाम एफआईआर में 3 अज्ञात के रूप में दर्ज नहीं होते.. पीड़िता ने अपनी तहरीर में सभी 6 पुलिसवालों के नाम लिखे थे.. लेकिन वर्दी की शराफत देखिए कि 6 नामों में 3 नामों को अज्ञात कर दिया गया.. सवाल है आखिर क्यों?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट खोल रही पोल
गोरखपुर पुलिस की पिटाई से कानपुर के प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत के मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पुलिस की झूठी कहानी की धज्जियां उड़ा कर रख दी.. मृतक मनीष गुप्ता के सिर, चेहरे और शरीर पर गंभीर चोट के निशान.. सिर के अगले हिस्से पर तेज प्रहार.. नाक के पास से बहा खून हादसे वाली थ्योरी के चीथड़े उड़ा रहे हैं.. मामले में सरकार तो पीड़ित के साथ खड़ी है पर खाकी अपने साथियों के साथ खड़ी दिख रही है,
‘ओ मिस्टर, आई एम इंस्पेक्टर, हू आर यू‘
हत्याआरोपी इस्पेटर जगत नारायण सिंह गोरखपुर में ‘नकद नारायण सिंह’ के नाम से जाने जाते हैं.. जिनका अंदाज और डायलॉग … ‘ओ मिस्टर, आई एम इंस्पेक्टर, हू आर यू‘ उनकी कार्यशैली बताने के लिए काफी है.. ऐसा भी कहा जाता है कि ‘नकद नारायण’ बिना ‘वांछित‘ मतलब (रिश्वत) लिए के कोई काम नहीं करते थे..क्योंकी जगत नारायण को आउट आफ टर्न प्रमोशन मिला था..सवाल है कि आखिर ‘नकद नारायण’ और उनकी टीम जिस पर हत्या का आरोप है उन्हें कौन बचा रहा है? बड़ा सवाल है कि आखिर गुनहगारों का मददगार कौन है?
विनीत कुमार शर्मा