जब महामारी का प्रकोप चरम पर था, तब डीजीसीए ने इस टेस्ट को कुछ समय के लिए बंद कर दिया था। बाद में जब इसे दोबारा शुरू भी किया गया था, और तब यह कुछ ही कर्मियों पर लागू था। अब यह 50 फीसदी केबिन क्रू पर लागू हो गया है
कोरोना महामारी के चलते करीब 2 साल तक बंद रहने के बाद इस सप्ताह भारत में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें फिर से शुरू हो गईं। इससे पहले तक नियमित विदेशी उड़ानों पर रोक थी और बबल अरेंजमेंट के तहत कुछ ही देशों के साथ सीमित उड़ानों का परिविमानन नियामक डीजीसीए ने इसके साथ ही केबिन क्रू से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव किये। नए नियमों के तहत अब पायलटों और केबिन क्रू के अन्य सदस्यों को हर रोज अल्कोहल टेस्ट देना होगा।
हालात में सुधार के बाद लौट रहे नियम
डीजीसीए ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के साथ ही यात्रियों की संख्या बढ़ने और महामारी से जुड़ी परिस्थितियों में सुधार को लेकर ब्रेथ एनालाइजर गाइडलाइंस में संशोधन किया है। मंगलवार को किए गए इस बदलाव में सभी विमान कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने आधे पायलटों और केबिन क्रू के सदस्यों का हर रोज अल्कोहल टेस्ट करें। इस टेस्ट से यह पता चलेगा कि कहीं कोई पायलट या केबिन क्रू मेंबर शराब के नशे में तो नहीं ।
कोरोना की वजह से बंद हो गया था टेस्ट
डीजीसीए चीफ अरुण कुमार ने इस बारे में कहा ‘हम वापस सामान्य स्थिति बहाल करना चाहते हैं और सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए प्रोटोकॉल वापस लागू करना चाहते हैं।
इन लोगों के लिए रोजाना टेस्ट जरूरी
अगर किसी कारण फ्लाइट से पहले कोई कर्मचारी टेस्ट नहीं करा पाता था तो उसे अराइवल एयरपोर्ट पर टेस्ट कराना पड़ता था। अब बदले नियम के तहत रैंडमली तरीके से हर फ्लाइट के आधे कर्मचारियों का बीए टेस्ट किया जाएगा। बदले नियमों के अनुसार, फ्लाइंग ट्रेनिंग संस्थानों के लिए आधे इंस्ट्रक्टर्स को हर रोज बीए टेस्ट कराना होगा। इसी तरह 40 फीसदी स्टूडेंट पायलटों को यह टेस्ट देना होगा। प्राइवेट एयरक्राफ्ट के मामले में टेस्ट 50 फीसदी क्रू मेंबर्स के लिए अनिवार्य होगा।