कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में बीजेपी के अंदर कुछ सही नही चल रहा था. जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के बीच हलचल चल रही थी. ऐसा लग रहा था बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के लिए तीसरी चेहरा पर ज्यादा ही जोर दिया जा रहा है. लेकिन लोग उस चेहरे को पसंद नही कर रहे हैं.
दरअसल समन्वय और संतुलन के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी अपनी ताकत लगा रखी थी. लगातार बैठकों का दौर, पर्यवेक्षकों का दौरा, दिल्ली में रिपोर्ट तलब और सवाल का कार्यक्रम जारी था. कई सारे कार्यक्रमों का दौर चल रहा था. जिसमें बीजेपी के नेता मुलाकातें करते रहें और राज्य के बड़े छोटे चेहरे, विधायक और पार्टी पदाधिकारी अपने विरोधों, असहमतियों की कहानी दर्ज कराते रहे.
लेकिन मुख्यमंत्री अडिग रहें उन्होंने न तो राज्य में कैबिनेट विस्तार की बात स्वीकारी और न ही विरोधियों के प्रति कोई लचीलापन दिखाया.
गौरतलब है कि योगी ये बात अच्छी तरह से जानते है कि उनके चेहरे के बिना बीजेपी आगे बढ़ने का जोखिम उठा नही सकती है. इनका काम मोदी सरकार की तरह ही है. ये अपने हाथ में सारे घोड़ों की लगाम वाली शैली में काम करते हैं. बीजेपी में भी पीएम मोदी, अमित शाह के बाद तीसरा सबसे बड़ा चेहरा योगी का ही नजर आता है.
ये बात बीजेपी को भी अच्छी तरह से समझ आ गई है. इसलिए इन सब बातों पर विराम लगाते हुए अब बीजेपी ने कहा है कि 2022 में मुख्यमंत्री का चेहरा योगी आदित्यनाथ ही होंगे.