समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर अब उनकी सियासी विरासत बहू डिंपल यादव संभालेंगी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मैनपुरी उपचुनाव के लिए अपनी पत्नी को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। अखिलेश ने डिंपल को उम्मीदवार बनाकर मुलायम की सियासी विरासत पर एकाधिकार का संदेश देने की भी कोशिश की है। साथ ही अखिलेश, पत्नी डिंपल के जरिए दिल्ली की राजनीति में कहीं ज्यादा सक्रिय रहकर कमजोर पड़ चुकी सपा को फिर से मजबूत करने की कोशिश करेंगे।
मैनपुरी लोकसभा सीट पर 1996 से लगातार सपा का कब्जा रहा है। यहां से पांच बार जहां मुलायम सांसद चुने गए वहीं दो बार बलराम यादव, एक-एक बार भतीजे धर्मेंद्र यादव व पौत्र तेज प्रताप सिंह यादव भी सांसद रहे हैं। वैसे तो इस सीट के उप चुनाव में परिवार के ही सदस्य को प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा थी लेकिन डिंपल को उतारने के पीछे कहा जा रहा है कि मुलायम के निधन के बाद हो रहे चुनाव में सर्वाधिक संवेदनाएं उन्हें ही मिल सकती हैं।
मुलायम की सीट पर अखिलेश ने पत्नी को टिकट देकर यह भी साफ कर दिया है कि पिता की राजनीतिक विरासत पर उनका ही एकाधिकार है। अखिलेश, पिछले विधानसभा चुनाव में करहल से जीतने के बाद संसद सदस्य से त्यागपत्र देकर राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता बने हुए हैं। उपचुनाव में पत्नी को खड़ाकर अखिलेश की कोशिश यह भी है कि वे मैनपुरी क्षेत्र से सीधे जुड़े भी रहें।
चार चुनाव लड़ी डिंपल दो में ही जीती
31 वर्ष की उम्र में चुनाव मैदान में उतरने वाली डिंपल वर्ष 2009 में फिरोजाबाद लोकसभा सीट का उपचुनाव नहीं जीत सकी थीं। अखिलेश के इस्तीफा से रिक्त हुई सीट पर डिंपल, फिल्म अभिनेता राज बब्बर से 85 हजार से अधिक मतों से हार गईं थीं। वर्ष 2012 में अखिलेश के इस्तीफे से रिक्त हुई कन्नौज लोकसभा सीट के उप चुनाव में डिंपल पहली बार निर्विरोध सांसद चुनी गई थीं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराकर डिंपल फिर कन्नौज से सांसद बनने में कामयाब रहीं थीं। हालांंकि, पिछले लोकसभा चुनाव में वह भाजपा के सुब्रत पाठक से हार गईं।
परिवार में फूट का भाजपा उठा सकती है फायदा
मुलायम परिवार में फूट जगजाहिर है। दो दिन पहले ही चाचा शिवपाल गोरखपुर में भतीजे अखिलेश पर निशाना साध चुके हैं। उन्होंने कहा था अखिलेश चापलूसों से घिरे हुए हैं, जो उन्हें गलत राय देते हैं। असली समाजवादी लोग उनकी पार्टी के साथ हैं और उनकी पार्टी ही असली समाजवादी है। इसके अलावा मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव पहले से ही भाजपा में हैं। अंदरखाने टिकट न मिलने से लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव को भी झटका लगा है क्योंकि उन्हें यहां से टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी। परिवार की इस अंदरूनी कलह का भाजपा फायदा उठा सकती है। इसके लिए भाजपा यादव परिवार के ही किसी सदस्य को चुनाव मैदान में उतार सकती है।