किसान का वोट किसे चोट !

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई किसान महापंचायत में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने भले ही बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया हो….लेकिन सूबमें किस पार्टी को समर्थन करेंगे इस बात को सार्वजनिक नहीं किया गया…पिछले दो दशक में जब-जब मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत जिस सरकार के खिलाफ हुई, उसे सत्ता से हटना विदा होना पड़ा है….

मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत 

पश्चिमी यूपी के जाटलैंड कहे जाने वाले मुजफ्फरनगर की महापंचायत से किसानों ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के चुनाव में बीजेपी को वोट से चोट देने का खुला ऐलान कर दिया है….मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में रविवार को आयोजित महापंचायत में किसानों ने तय किया कि राज्य के हर जिले में संयुक्त मोर्चा का कर आंदोलन को धार दिया जाएगा. किसानों का उमड़ा सैलाब देख किसान नेताओं ने कहा कि यह मोदी सरकार के लिए सिर्फ वार्निंग सिग्नल है या तो रास्ते पर आ जाओ, नहीं तो किसान 2024 तक आंदोलन करने को भी तैयार हैं…किसान महापंचायत में कृषि कानूनों की वापसी, एमएसपी की गारंटी, गन्ना मूल्य बढ़ोत्तरी की मांग उठाई. रेलवे, एयरपोर्ट, बैंक व बीमा समेत समेत सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण पर कड़ा विरोध जताया…कहा कि किसानों की मांगें नहीं मानी तो बंगाल की तर्ज पर यूपी में योगी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे….

किसान आंदोलन पर सियासी रंग

किसानों के तेवर देखकर साफ है कि कृषि कानूनों को शुरू हुआ आंदोलन अब सियासी रंग में बदलता जा रहा है…..कल महापंचायत में राकेश टिकैट ने सरकार को जमकर घेरा था अब उस पर विपक्ष सियासत कर अपनी रोटियां सेंक रहा है….अखिलेश यादव,राहुल गांधी,प्रियंका गांधी और दिगविजय सिंह किसानों के समर्थन में जय किसान,अन्नदाता,नहीं चाहिए भाजपा ट्वीट कर समर्थन दिया…किसानों की लड़ाई का लिटमस टेस्ट 2022 में यूपी के विधानसभा चुनाव में होगा…

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या किसानों की ये लड़ाई सरकार को वोट की चोट दे पाती है या नहीं….और ऐसे में यह सवाल उठता है कि किसान आंदोलन का 2022 के यूपी चुनाव में किसे सियासी फायदा मिलेगा?

 

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