आग्निपथ योजना के विरोध ने देश को जला दिया. अब सवाल ये उठता है कि आखिर विरोध में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनें ही क्यों फूंकी, तो इसका जबाब ये है कि ट्रेनें देश की सबसे महंगी संपत्तियों में से एक हैं जी हां आग्निपथ योजना के विरोध में अगर ये कहा जाय कि प्रदर्शनकारियों देश की सबसे महंगी सम्पत्ति को निशाना बनाया है तो गलत नहीं होगा,केंद्र में बेठी मोदी सरकार का भी मानना है कि प्रदर्शन के नाम पर विपक्ष ने लोगों को उकसाकर देश की सबसे महंगी और महत्वपूर्ण संपत्ति को नुकसान पहुँचाया है
ट्रेनों के निर्माण में आता है करोड़ों का खर्च
भारत की एक नार्मल पैसेंजर ट्रेन में कई कोचों के साथ 24 बोगियां पायी जाती हैं जिसमें पेंट्री,लगेज,गार्ड और जनेरेटर कोच होते हैं इस तरह एक ट्रेन में कई करोड़ का खर्च आता है एलएचबी तकनीक से बने एक खाली डिब्बे का खर्च 40 से 50 लाख के बीच में आता है. इसके बाद उसमे लगने वाला फर्निस जैसे सीट,पंखे और टॉयलेट 50 से 75 लाख के बीच तैयार होता है बोगी की श्रेणी तय करती है कि उसका खर्च क्या होगा. जनरल कोच करीब 80 से 95 लाख तो स्लीपर कोच करीब सवा करोड़ के आस पास तैयार होता है.इसी तरह खाली कोच को AC कोच में बदलने के लिए 2 से 2.5 करोड़ का खर्च लगता है. जबकि First AC या Executive AC कोच की कीमत 3 करोड़ रुपये से भी ऊपर बैठती है.वहीं अगर बात ट्रेन के इंजन की हो तो इसका खर्च लगभग 25 करोड़ के आस पास बैठता है ये लागत डीजल इंजन और इलेक्ट्रिकल इंजन के हिसाब से और भी ज्यादा हो सकती है First AC में लग्जरी सुविधाएँ होने के कारण ये कोच सबसे महंगा होता है इसमें यात्रा करने वाले यात्रियों को इसके कीमती होने का पूरा अनुभव होता है इसके बाद आने वाला Executive AC कोच भी अपने लग्जरी वातावरण से यात्रियों को आनंदित करने में कोई कसर नहीं छोड़ता अपने खर्चे के हिसाब से जनरल या स्लीपर कोच में सफ़र करने वाले यात्री भी देश की इस महंगी संपत्ति का अनुभव प्राप्त करते हैं
ये जानकारी हमें बताती है कि अग्निपथ के विरोध ने देश की सबसे महंगी संपत्ति को कितनी हानी पहुंचाई है विरोध के नाम पर प्रदर्शनकारियों ने देश को करोड़ों के नीचे ला दिया है अब ये प्रदर्शन था या साजिश इसकी जानकारी तो जांच एजेंसियों की रिपोर्ट ही बता सकती है