उत्तराखंड: मूल निवास स्वाभिमान महारैली में आए हजारों लोग

उत्तराखंड,देहरादून- मूल निवास व भू- कानून समन्वय संघर्ष समिति के बैनर तले देहरादून के परेड मैदान में विशाल जन सैलाब उमड़ा। राज्य में मूल निवास 1950 लागू करने की मांग को लेकर लोगों में आक्रोश देखने को मिला। परेड मैदान से कचहरी स्थित शहीद स्मारक तक मूल निवास स्वाभिमान महारैली निकाली गई। महारैली में उत्तराखंड के कई जिलों के लोग, साथ ही सामाजिक संगठन, राजनीतिक दलों के नेता कार्यकर्ता व राज्य आंदोलनकारी भी शामिल हुए।

राज्य आंदोलन कारियों ने कहा हिमाचल की तर्ज पर बने भू- कानून

राज्य आंदोलनकारी प्रदीप कुकरेती ने कहा कि विषम भौगोलिक स्थिति वाले राज्य को आजादी 42 शहादतों के बाद मिली है। हमारी मांग रही है कि राज्य में 1950 का मूल निवास लागू हो साथ ही हिमाचल की तर्ज पर भू- कानून लागू हो और इसके लिए हम सभी लामबंद हो चुके हैं इसका आगाज आज हो चुका है और यदि इसमें कोई हीलाहवाली की गई तो आने वाले समय में हम इससे भी बड़ा जन सैलाब सड़क पर उतारेंगे।

वहीं आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद आनंद ने कहा कि कि जिस प्रकार से उत्तराखंड में दोनों राजनीतिक दलों ने राज्य के मूल मुद्दों को सत्ता के दलदल के नीचे दबाया वह बहुत ही दुखद है। आज सरकार से अपनी मूल मांगों के विरोध में उत्तराखंड का बच्चा युवा बूढ़ा महिलाएं सभी सड़कों पर उतरी है और उनमें आक्रोश है वहीं उन्होंने मोदी है ना यात्रा के शुभारंभ को लेकर भी कहा कि सरकार द्वारा आज ही के दिन इस यात्रा को करवाना उनकी इस मंशा पर सवाल खड़े करता है कि वह उत्तराखंड वासियों की आवाज को दबाना चाहते हैं साथ ही एस्मा पर उन्होंने कहा कि सरकार कर्मचारियों की आवाज को भी दबाने के लिए एस्मा लाई है यह सरकार की निरंकुशवादी नीतियों को दर्शाता है।

यूकेडी ने दोनों पार्टियों पर राज्य की अनदेखी का लगाया आरोप

वही उत्तराखंड क्रांति दल ने भी इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया उत्तराखंड क्रांति दल के संरक्षक त्रिवेंद्र सिंह पवार ने कहा कि जिस प्रकार से राज्य बनाने के लिए 1994 में जन सैलाब उमडा। उसी प्रकार से आज देखने को मिल रहा है। उत्तराखंड की जनता को जिस प्रकार से दोनों राजनीतिक पार्टियों ने बारी बारी से ठगा है उसका आक्रोश भी जनता में आज देखने को मिल रहा है। हमने पूर्व में भी कहा था कि विधानसभा में प्रस्ताव पारित करके केंद्र को भेज दिया जाए लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य बनने के समय उत्तराखंड में 80 लाख की आबादी थी जो अब बढ़कर एक करोड़ 40 लाख हो गई है यह अतिरिक्त आबादी बाहरी राज्यों से आए लोगों की है जो उत्तराखंड के संसाधनों, सुविधाओं पर कब्जा कर रहे हैं।

स्वामी दर्शन भारती ने सख्त कानून को बताया समय की मांग

स्वाभिमान महारैली में दर्शन स्वामी दर्शन भारती भी शामिल हुए और उन्होंने कहा कि आज 23 सालों बाद भी हमें भू कानून के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है यह बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण बात है। यह राज्य अब राज्य वीडियो के लिए नहीं रहा। आज के समय भू कानून की अत्यधिक आवश्यकता है। जिससे हमारी जमीन बच सके। उन्होंने सरकार पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि जब 1 वर्ष पूर्व सुभाष कुमार कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट में भू कानून की सख्त आवश्यकता बताई थी तब ऐसे में फिर नई कमेटी गठित कर लोगों को क्यों गुमराह किया जा रहा है।

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