KNEWS DESK- रामायण में भगवान राम के हाथों से रावण का अंत हुआ था। रावण भले ही एक राक्षस कुल का राजा था लेकिन उसके जैसा दुनिया में दूसरा कोई व्यक्ति नहीं। इसलिए कहा जाता है कि रावण सिर्फ एक है। लंकाधिपति दशानन महाराज रावण अत्यंत ही बलशाली, महापराक्रमी योद्धा, परम शिव भक्त, वेदों का ज्ञाता और महापंडित था।
जब राम और रावण के बीच युद्ध हुआ तो रावण की हार हुई। रावण मरणासन्न अवस्था में था। तब भगवान राम से लक्ष्मण को रावण ने शिक्षा लेने को कहा। क्योंकि राम भी जानते थे कि रावण इस संसार के नीति, राजनीति और शक्ति के महान पंडित थे। इसलिए राम ने लक्ष्मण से कहा कि तुम रावण के पास जाओ और उससे जीवन से जुड़ी ऐसी शिक्षाएं प्राप्त करो, जो तुम्हें और कोई नहीं दे सकता है। भगवान राम की बात सुनकर लक्ष्मण मृत्युशैय्या पर पड़े रावण के सिर के पास जाकर खड़े हो गए।
लक्ष्मण रावण के पास गए तो रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई। रावण ने लक्ष्मण को बताया कि जब भी कोई शुभ कार्य करना हो तो उस काम को तुरंत कर लेना चाहिए। रावण ने कहा कि जैसे मैंने श्रीराम के शरण में आने में देरी कर दी।
रावण ने लक्ष्मण को दूसरी बात बताई कि अपने शत्रु को कभी कमजोर मत समझो जैसे मैनें राम को हमेशा समझा। रावण ने कहा कि मैंने ब्रह्माजी से वरदान मांगा था कि मनुष्य और वानर को छोड़कर कोई भी ना मार सके।
रावण ने लक्ष्मण को तीसरी बात ये बताई कि अपने जीवन का कोई राज हो तो उसे किसी को भी नहीं बताना चाहिए, क्योंकि विभीषण मेरी मृत्यु का राज जानता था। ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी।
रावण का आखिरी उपदेश था कि, किसी भी पराई स्त्री पर बुरी नजर नहीं रखनी चाहिए. क्योंकि जो व्यक्ति पराई स्त्री पर बुरी नजर रखता है वह नष्ट हो जाता है।
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