KNEWS DESK- धरती से करीब पौने चार लाख किलोमीटर दूर चांद के साउथ पोल रीजन में स्लीप मोड में पार्क किए गए चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान के दोबारा एक्टिव होने की किसी भी वक्त खबर आ सकती है और इसकी वजह है कि चांद पर बुधवार यानि बीते 20 अगस्त को ही सूर्योदय की शुरुआत हो गया। अब शुक्रवार यानि 22 सितंबर को साउथ पोल रीजन के शिव शक्ति पॉइंट, जहां चंद्रयान-3 के लेंडर और रोवर स्लीप मोड में हैं, वहां रोशनी पहुंचने लगी है।
20 सितंबर से ही चांद पर सूर्योदय की हो गई शुरुआत
इनके सोलर पैनल पर माइन्स 10 डिग्री सेल्सियस से ऊपर का तापमान पड़ते ही अगर बैटरी खराब नहीं हुई है तो चार्ज होने लगेगी। तब इनसे दोबारा कम्युनिकेशन स्थापित हो सकेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 की टेक्निकल स्टेटस की मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने एक दिन पहले गुरुवार को ही बताया था कि 20 सितंबर से ही चांद पर सूर्योदय की शुरुआत हो गई है।
विक्रम और प्रज्ञान जाग जाएंगे नींद से
इसरो चीफ सोमनाथ कहा था कि 21-22 सितंबर तक शिव शक्ति पॉइंट पर रोशनी पड़ने लगेगी। उन्होंने यह भी बताया था कि पहले दोनों के एक निश्चित तापमान से ऊपर गर्म होने का इंतजार किया जाएगा। इसके बाद इसरो के कमांड सेंटर से स्पेशल कमान भेजकर दोनों उपकरणों को एक्टिव करने की कोशिश होगी। हम सिर्फ उम्मीद कर सकते हैं। वहीं एक दिन पहले गुरुवार को संसद में चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि जैसे ही चांद पर तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस के ऊपर होगा विक्रम और प्रज्ञान नींद से जाग जाएंगे।
जल्द ही शुरू होगा चांद की मिट्टी और भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन
इसरो की ओर से लैंडर के ऑनबोर्ड कंप्यूटर में सबसे पहले कम्युनिकेशन कमान भेजे जाएंगे। अगर लैंडर और रोवर की बैटरी फिर से चार्ज हो रही होगी तो इसरो के कमान का तत्काल रिस्पांस इन यंत्रों से तुरंत धरती के कमांड सेंटर पर मिलेगा। इसके बाद विक्रम और प्रज्ञान की तकनीकी स्थिति का आंकलन किया जाएगा। अगर सब कुछ ठीक रहा तो दोबारा चांद की धरती पर वन लूनर डे यानी धरती के 14 दिनों तक प्रज्ञान के पेलोड्स के जरिए चांद की मिट्टी और भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन शुरू होगा। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि विक्रम और प्रज्ञान दोबारा काम करना शुरू कर सकते हैं।