उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिहं रावत की मुश्किलें बढ़ सकती है दअरसल नैनीताल हाईकोर्ट ने कॉर्बेट पार्क में अवैध पेड़ कटान और निर्माण मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में पूर्व वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत समेत कुछ आईएफएस व अन्य अधिकारियों की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। आपको बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरों रेंज में हुए कार्यों को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दिए… वहीं राज्य में हरक सिंह रावत के भविष्य पर फिर चर्चाएं शुरू हो गईं…कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 6000 पेड़ों को काटे जाने और अवैध निर्माण करने के मामले में जल्द सीबीआई अपनी जांच शुरू कर सकती है. हालांकि हाईकोर्ट की तरफ से इस संदर्भ में निर्देश दिए जाने के बाद कुछ औपचारिकताएं भी हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद ही सीबीआई पूरे प्रकरण पर अपनी जांच शुरू करेगी…वहीं राज्य में अब इस मामले में सियासत गरमा गई है। विपक्ष ने सरकार पर विपक्ष के नेताओं के उत्पीडन का आरोप लगाया है। सवाल ये है कि क्या सीबीआई की जांच हरक सिंह रावत के राजनीतिक करियर पर ग्रहण लगा देगी
उत्तराखंड में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिहं रावत की मुश्किलें बढ़ सकती है दअरसल नैनीताल हाईकोर्ट ने कॉर्बेट पार्क में अवैध पेड़ कटान और निर्माण मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में पूर्व वन मंत्री डॉ हरक सिंह रावत समेत कुछ आईएफएस व अन्य अधिकारियों की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। आपको बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के पाखरों रेंज में हुए कार्यों को लेकर सीबीआई जांच के आदेश दिए… वहीं राज्य में हरक सिंह रावत के भविष्य पर फिर चर्चाएं शुरू हो गईं…कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 6000 पेड़ों को काटे जाने और अवैध निर्माण करने के मामले में जल्द सीबीआई अपनी जांच शुरू कर सकती है. हालांकि हाईकोर्ट की तरफ से इस संदर्भ में निर्देश दिए जाने के बाद कुछ औपचारिकताएं भी हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद ही सीबीआई पूरे प्रकरण पर अपनी जांच शुरू करेगी…
आपको बता दें कि साल 2019-20 में उत्तराखंड में बीजेपी की त्रिवेंद्र रावत सरकार के दौरान पाखरो रेंज में टाइगर सफारी के लिए 106 हेक्टेयर वन भूमि पर काम शुरू हुआ था और इस दौरान बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए थे। जबकि टाइगर सफारी के लिए करीब 163 पेड़ काटने की अनुमति ली गई, लेकिन मौके पर 6000 पेड़ काटे गए थे। इस प्रकरण के सामने आने के बाद NTCA यानी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की टीम ने मौके पर स्थलीय निरीक्षण भी किया था और विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। इसके बाद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार, एनजीटी और उत्तराखंड वन विभाग ने भी अलग से अपनी जांच शुरू की। वहीं अब मामले की गंभीरता को देखते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रकरण का संज्ञान लिया है और जांच के दायरे में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत भी आ गए हैं। वहीं राज्य में अब इस मामले में सियासत गरमा गई है। विपक्ष ने सरकार पर विपक्ष के नेताओं के उत्पीडन का आरोप लगाया है।
कुल मिलाकर हरक सिंह रावत एक बार फिर मुश्किलों में फंस गए हैं। देखना होगा क्या इस मामले की सीबीआई जांच होगी….क्या सीबीआई की जांच हरक सिंह रावत के राजनीतिक करियर पर ग्रहण लगा देगी….क्या हरक सिंह रावत का लोकसभा पहुंचने का सपना टूट सकता है ऐसे अनगिनत सवाल है जिसके जवाब का सबको इंतजार है