Knews Desk, सिंगापुर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में भारतीय मूल के 66 वर्षीय थर्मन शनमुगरत्नम ने शुक्रवार 1 सितम्बर को चीनी मूल के दो प्रतिद्वंद्वियों को हराते हुए जीत हासिल की । इन्हें राष्ट्रपति चुनाव में 70.4 फीसदी वोट मिले । इनके प्रतिद्वंद्वियों एन कोक सोंग और टेन किन लियान को सिर्फ 15.7 फीसदी और 13.8 फीसदी के आसपास वोट मिल पाए । शनमुगरत्नम 20 सालों से ज्यादा समय से पीपुल्स एक्शन पार्टी में ( PAP ) रहे हैं और थर्मन शनमुगरत्नम साल 2011 से 2019 तक सिंगापुर के उप प्रधानमंत्री रहे हैं ।
बड़े पदों का लम्बा अनुभव
थर्मन शनमुगरत्नम का सिंगापुर की राजनीति में एक लम्बा अनुभव रहा है । ये बड़े -2 पदों पर रह चुके हैं । इन्होंने 2008 से 2011 तक उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के तौर पर काम किया हैं। इनकी पॉलिसी बनाने की क्षमता अच्छी है । ग्लोबल मंच पर सिंगापुर और भारत जैसे देशों की बात को बेफिक्री से रखते हैं । ये कहते हैं कि चीन – अमेरिका को घमंड त्यागने की आवश्यकता है कि वे सर्वश्रेष्ठ हैं । उन्हें पता होना चाहिए कि विकासशील देश भी उतने ही ज़रूरी हैं ।
सिंगापुर में थर्मन तीसरे भारतीय मूल के राष्ट्रपति बने
थर्मन राष्ट्रपति बनने वाले पहले ऐसे भारतीय हैं जो मतदान से चुने गए हैं । एस .आर नाथन 1999 से 2011 तक इसका मतलब 11 साल तक राष्ट्रपति बने रहे। वे निर्विरोध राष्ट्रपति बन गए । इससे पहले 1981 में संसद द्वारा चुने गए देवेन नायर राष्ट्रपति बने थे । 1991 के बाद से आम लोग को राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग का अधिकार मिला ।
थर्मन के राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद बधाई का सिलसिला
थर्मन के राष्ट्रपति चुनाव में भारी बहुमत से जीत हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनमुगरत्नम को जीत की बधाई दी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं सिंगापुर और भारत के रिश्तों को बेहतर करने के लिए आपके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं । सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली हसैन लूंग ने भी थर्मन को बधाई दी. कहा कि वो भारी सफलता से राष्ट्रपति पद के दायित्वों को पूरा करेंगे ।
थर्मन ने राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद , मीडिया से कहा कि सिंगापुर के मतदाताओं को सही फैसला लेने के लिए धन्यवाद। वहीं टेन किन लियान जोकि थर्मन
से राष्ट्रपति चुनाव हार गए है, ने कहा कि दोबारा उसी तरीके से राष्ट्रपति चुनाव कराये जाए जिसमें संसद ही राष्ट्रपति का चुनाव करती है ।
आपको बता दें कि सिंगापुर में 11 साल के लम्बे समय के बाद आम लोगों ने राष्ट्रपति को चुनने में वोट दिया है. भारत के जैसे ही सिंगापुर में राष्ट्रपति सेरेमोनियल पोस्ट होती है ।