KNEWS DESK… राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने सीएम निवास पर प्रदेश के कई विद्यार्थियों के साथ कल यानी 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की लाइव लैंडिंग देखी. भारत का चंद्रयान-3 जैसे ही चांद के दक्षिणी ध्रुव में सफल लैंडिंग कर गया और दुनिया में चर्चा का विषय बन गया। भारत की इस अभूतपूर्व उपलब्धता के लिए सीएम गहलोत ने ISRO के वैज्ञानिकों को बधाई दी। वहीं चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिग के बाद सीएम गहलोत ने बड़ी घोषणा की।
दरअसल आपको बता दें कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग की वैसे ही सीएम गहलोत ने घोषणा करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के युवाओं में खगोलीय और अंतरिक्ष विज्ञान के विकास को लेकर एक खास कदम उठाने जा रहा हैं। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य के लगभग 1500 राजकीय विद्यालयों में साइंस एंड स्पेस क्लब खोले जा रहे है। इस क्लब में कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों को वैज्ञानिक गतिविधियों के प्रोत्साहित किया जाएगा। इस क्लब में विद्यार्थियों के लिए नासा के सहयोग से एस्टरॉइड खोज अभियान भी संचालित किया जाएगा। इसके अलावा डिजिटल प्लेनेटोरियम, डिस्प्ले इन्फ्रास्ट्रक्चर, विज्ञान केन्द्र, उच्च स्तरीय रिजोल्यूशन के टेलीस्कोप, साइंस पार्क के विकास समेत कई तरह के कम किए जा रहे हैं।
स्कूलों में खोले जाएगे साइंस एंड स्पेस क्लब-CM गहलोत
जानकारी के लिए बता दें कि सीएम गहलोत ने कहा कि जब चांद पर पहली बार इंसान उतरा था तब व्यक्ति एक छात्र की तरह इस ऐतिहासिक घटना को लेकर बेहद उत्साहित था। आज हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत, देशवासियों की आशा और विश्वास का परिणाम है कि चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारकर ISRO ने एक नया इतिहास रचा है। इसी के साथ चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव सतह पर उतरने वाला भारत पहला देश बन गया है। यह दूसरी बार है कि भारत ने चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव सतह पर जानें की कोशिश की है। इसके पहले 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 मिशन के रूप में भारत का चंद्रमा के लिए पहला मिशन लॉन्च हुआ था और ये मिशन साल 2009 में सफलतापूर्वक समाप्त हुआ। इसके बाद इसरो ने साल 2019 में चंद्रयान-2 मिशन लॉन्च किया, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण कुछ तकनीकी कारणों से लैंडिंग से महज कुछ मिनट पहले इसका संपर्क टूट गया और मिशन फेल हो गया।
गौरबतल है कि सीएम गहलोत ने ISRO का इतिहास बताते हुए कहा कि साल 1962 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने डॉ विक्रम ए साराभाई की सलाह पर भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति नाम के साथ स्थापित किया था। इसके बाद साल 1969 में इंदिरा गांधी के कार्यकाल में स्वतंत्रा दिवस पर इस संगठन को मजबूत करते हुए इसका नाम ISRO यानी (Indian Space Research Organization) रखा गया।