KNEWS DESK… मध्यप्रदेश में इस वर्ष के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसके चलते कांग्रेस औऱ भाजपा के बीच जुबानी जंग शुरू हो चुकी है । कांग्रेस लगातार सिंधिया राजघराने पर रानी लक्ष्मीबाई को धोखा दिए जाने पर निशाना साध रही है। कांग्रेस सिंधिया परिवार को गद्दार बता रही है।
दरअसल आपको बता दें कि 21 जुलाई को ग्वालियर में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की मेला मैदान में रैली आयोजित की गई थी। इस दौरान दावा शहर में कई पोस्टर लगाए थे। इन पोस्टरों में यह दावा किया गया था कि ग्वालियर के तत्कालीन शासक सिंधिया ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के विद्रोह के दौरान झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को धोखा दिया था। फिर इस परिवार ने 1967 एवं 2020 में कांग्रेस पार्टी को भी धोखा दिया है।
जानकारी के लिए बता दें कि इस रैली में विधानसभा के विपक्षी नेता गोविंद सिंह ने पोस्टर वाली बात को दोहराते हुए बिना नाम लिए विजया राजे सिंधिया का जिक्र करते हुए कहा कि सिंधिया परिवार ने पहले लक्ष्मीबाई को तथा फिर 1967 में कांग्रेस को निराश किया। तब उस समय भी उन्होंने मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिरा दिया था।
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ज्योतिरादित्य सिंधिया ने किया पलटवार
कांग्रेस नेताओं के धोखेबाजी किए जाने के तंज पर पलटवार करते हुए बीजेपी नेता एवं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 22 जुलाई को अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कांग्रेस से सवाल पूछा है कि पहले हमारे दिवंगत पिता के बाद में फिर मुझे पार्टी में क्यों शामिल किया और स्वीकार किया? सिंधिया ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि देखो वे अपना काम करेंगे। जिन्होंने इतिहास का एक पन्ना तक नहीं पढ़ा है, वो ऐसा बोल रहे हैं। उन्हें जो बोलना है बोलने दीजिए। मेरे एवं मेरे परिवार के कर्म, विचार तथा विचारधारा ग्वालियर, ग्वालियर संभाग, मध्य प्रदेश एवं राष्ट्र के लिए समर्पित है। अगर कांग्रेस को इतनी ही चिंता है तो उन्होंने मुझे, मेरे पिता को अपनी पार्टी में क्यों शामिल किया?
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने समर्थकों के साथ 2020 में किया था विरोध
गौरबतल हो कि मध्य प्रदेश में मार्च 2020 को कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं उनके समर्थक विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी थी। इसके बाद सभी नेता भाजपा में शामिल हो गए। कमलनाथ को 15 महीने के अंदर ही अपने सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद भाजपा के शिवराज सिंह चौहान को एक बार फिर से मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाया गया। वहीं कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को केंद्र मंत्रिमंडल में मंत्री पद का भार सौंपा गया।
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