महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की 115वीं जयंती आज, चंद्रशेखर तिवारी को ऐसे मिला आजाद का नाम

KNEWS DESK- आज महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की 115वीं जयंती हैं। आजाद ने अंग्रेजों के पकड़ में ना आने की शपथ के चलते खुद को गोली मार ली थी। आजाद जब तक जिए आजाद रहे, उन्हें कोई कैद नहीं कर पाया। जब आजाद को अंग्रेजी सरकार ने असहयोग आंदोलन के समय गिरफ्तार किया था और अदालत में उनसे उनका परिचय पूछा गया तो उन्होंने कहा था- मेरा नाम आजाद और पिता का नाम स्वतंत्रता और मेरा पता जेल है।

Chandrashekhar Tiwari became Chandrashekhar Azad in Kashi ANN चंद्रशेखर आजाद का काशी से है नाता, काशी में चंद्रशेखर तिवारी बने थे चंद्रशेखर आजाद

रामप्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद ने साथी क्रांतिकारियों के साथ मिलकर ब्रिटिश खजाना लूटने और हथियार खरीदने के लिए ऐतिहासिक काकोरी ट्रेन डकैती को अंजाम दिया। इस घटना ने ब्रिटिश सरकार को हिलाकर रख दिया था। बात 9 अगस्त 1925 की है शाम का वक्त था हल्का हल्का सा अंधेरा छाने लगा था। लखनऊ की तरफ सहारनपुर पैसेंजर एक्सप्रेस आगे बढ़ रही थी। लखनऊ से पहले ही काकोरी स्टेशन पर 10 क्रांतिकारी सवार हुए और ट्रेन को लूट लिया।

चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को मध्यप्रदेश के भाबरा गांव में हुआ था। मूल रूप से उनका परिवार उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदरका गांव से था, लेकिन पिता सीताराम तिवारी की नौकरी चली जाने के कारण उन्हें अपने पैतृक गांव को छोड़कर मध्यप्रदेश के भाबरा जाना पड़ा था। चंद्रशेखर आजाद का नाम चंद्रशेखर तिवारी था। वह बचपन से ही काफी जिद्दी और विद्रोही स्वभाव के थे।

चंद्रशेखर का पूरा बचपन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र झाबरा में ही बीता था। यहां पर उन्होंने बचपन से ही निशानेबाजी और धनुर्विद्या सिखी। लगातार मौका मिलते ही वो इसकी अभ्यास करने लगे, जिसके बाद यह धीरे-धीरे उनका शौक बन गया।

चंद्रशेखर तिवारी को मिला आजाद का नाम

1921 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ने के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई। उस दौरान जब उन्हें जज के सामने पेश किया गया, तो उनके जवाब ने सबके होश उड़ा दिए थे। जब उनसे उनका नाम पूछा गया, तो उन्होंने अपना नाम आजाद और अपने पिता का नाम स्वतंत्रता बताया। इस बात से जज काफी नाराज हो गया और चंद्रशेखर को 15 कोड़े मारने की सजा सुनाई।

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