लखनऊ, 2024 लोकसभा चुनाव में महज 6 से 8 महीनों का वक्त बाकी रह गया है. ऐसे में सभी सियासी दल अपने अपने गणित को साधने में जुट गए हैं. बीते लगभग 9 वर्षों से केंद्र में काबिज भारतीय राजभर चौखट पार लेकिन माया का रुख नहीं साफ,2024 की बिछ रही बिसातजनता पार्टी 2024 का लोकसभा चुनाव एक बार फिर जीतने के लिए कमर कस चुकी है. हाल में ही कर्नाटक चुनाव कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से शिकस्त खाने के बाद भारतीय जनता पार्टी का सबसे ज्यादा फोकस उत्तर प्रदेश पर है क्योंकि उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं और भारतीय जनता पार्टी ने सभी 80 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है…. हालांकि आने वाले 6 माह के भीतर 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं जिनके परिणाम आने वाले लोकसभा चुनाव की दशा और दिशा दोनों तय कर सकते हैं, इनमें भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण मध्यप्रदेश और राजस्थान के चुनाव माने जा रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति अन्य राज्यों के चुनाव से इतर जातिगत समीकरणों पर अधिक केंद्रित है बीजेपी भले ही अपने नो वर्षों के कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाने के लिए घर घर प्रचार में जुट गई हो लेकिन उत्तर प्रदेश में जातीय समीकरणों को साधने के लिए क्षेत्रीय दलों से गठबंधन के लिए भी जोड़-तोड़ में लग गई है लेकिन बीजेपी यह बखूबी जानती है कि जातिगत समीकरण से अधिक उसके पास हिंदुत्व ट्रपकार्ड है
अपना दल, निषाद साथ तो राजभर भी चौखट पर
बीते 1 हफ्ते पर नजर डालें तो, भारतीय जनता पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह, सोनेलाल पटेल की जयंती कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि लखनऊ पहुंचे .. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि “बीते 9 साल में पिछड़ों के लिए कई काम किए। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी कई बार गठबंधन में सत्ता में रहे, लेकिन कभी भी पिछड़े वर्ग आयोग को संवैधानिक मान्यता नहीं दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर समाज को उसका हक दिलाया। एमबीबीएस और एमडी में पिछड़ों के लिए 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया। ओबीसी छात्रों की ट्यूशन फीस माफ की । पेट्रोल और गैस एजेंसियों में भी ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया गया। आजादी के बाद भाजपा और एनई की यह पहली मंत्रिपरिषद है, जिसमें 27 पिछड़ा समाज क नेता मंत्री बनकर पिछड़ा समाज का कल्याण कर रहे हैं। अगर पहली बार सबसे ज्यादा पिछड़ा समाज, आदिवासी और दलित समाज के सांसद किसी गठबंधन में चुनकर आये हैं तो वह एनडीए गठबंधन में आये हैं”गृह मंत्री अमित शाह का पिछड़ों और दलितों के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए कामों को गिनाने का इशारा लोकसभा चुनाव को लेकर कहा जा सकता…. पूर्वांचल में निषाद समाज भी चुनाव में अपनी अहम भूमिका निभाता है जिसके मुखिया संजय निषाद उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल के रूप में काम कर रहे हैं और उनको बीजेपी ने उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी दे रखा है लेकिन राजभर और बिंद समाज के नेता ओम प्रकाश राजभर की बीजेपी में शामिल होने की अटकलें भी तेज हो गई है…राजभर के भी बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाकात यह इशारा कर रही है कि ओमप्रकाश राजभर लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल के रूप में काम करेंगे… हालांकि ओमप्रकाश राजभर ने इस बात का ऐलान नहीं किया है….
सपा सबसे बड़ी चुनौती लेकिन बसपा का रुख साफ नहीं, कांग्रेस हाशिए पर
उत्तर प्रदेश की में लगभग 50 फ़ीसदी वोटर दलित और पिछड़े वर्ग से आता है 2014 चुनाव से पहले… मायावती दलित और पिछड़े वर्ग की सबसे बड़ी नेता मानी जाती थी, तो वहीं मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी मुस्लिम और यादव गठजोड़ के लिए…. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के सामने अगर सबसे बड़ी चुनौती की बात करें तो मौजुदा समय मे वह समाजवादी पार्टी है…. बीते 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने BJP को लगभग 5 दर्जन सीटों पर कांटे की टक्कर दी थी.. वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपना रुख अब तक साफ नहीं किया है हालांकि जानकार उन्हें भारतीय जनता पार्टी की बी टीम बता रहे हैं बीते उपचुनाव की अगर बात करें तो यह साफ नजर आता है कि बहुजन समाज पार्टी ऐसे कैंडिडेट को मैदान में उतारती है जिसस समाजवादी पार्टी को नुकसान पहुंचे और भारतीय जनता पार्टी उस सीट पर जीत हासिल कर ले…. दूसरी तरफ कांग्रेस अर्से से यूपी में हाशिए पर है और बीते 2019 के चुनाव में अमेठी का गढ़ भी भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस से छीन लिया…. रायबरेली एकमात्र लोकसभा सीट कांग्रेस के पास है लेकिन उसकी भी अधिकांश विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी जीत परचम लहरा चुकी है ऐसे में आने वाले लोकसभा चुनाव के पहले सभी सियासी दल क्षेत्रीय दलों का गठजोड़ कर समीकरणों को बदलने में जुटे हुए हैं