UCC की तैयारी, तोड़ा कानून पड़ेगा भारी !

KNEWS DESK-  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे को उठाकर इस पर देश में छिड़ी बहस को गरमा दिया है। हालांकि उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार सालभर से यूनिफॉर्म सिविल कोड पर काम कर रही है। सीएम धामी का दावा है कि बहुत जल्द राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होगा…..आपको बता दें कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पिछले साल मार्च के महीने में राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था. जिसके बाद सत्ता पर काबिज होने के बाद पहली कैबिनेट की मीटिंग में यूसीसी पर कमेटी बनाई गई. तब से ही यह पूरे देश में इस विषय पर चर्चाओं का बाजार गर्म है. समान नागरिक संहिता का मतलब है कि सभी धर्मों के लिए एक ही कानून. जिसमें शादी, तलाक, संपत्ति और गोद लेने समेत तमाम विषय इसमें शामिल होंगे. भले ही कुछ राजनीतिक दल इसे सियासी मुद्दा समझें और धर्म विशेष के खिलाफ बताएं, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने की हिमायत कर चुके हैं. सवाल ये है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 की चुनौती पार करने को सीएम पुष्कर सिंह धामी का दांव खेल दिया है?

 

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भोपाल से समान नागरिक संहिता यानी यूनिफार्म सिविल कोड का बिगुल फूंक दिया है। प्रधानमंत्री के इस ऐलान के बाद AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी से लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और विपक्षी हलकान हैं क्योंकि सामने 2024 का महामुकाबला है और मोदी का ये वो आखिरी दांव है जो विरोधियों को चारों खाने चित कर सकता है। वैसे भी मोदी-शाह की जोड़ी धारा 370 और राममंदिर जैसे बीजेपी के दो अहम चुनावी मुद्दों पर मैदान मार ही चुकी है, अब समान नागरिक संहिता ही मोदी-शाह के तरकश का वो तीर है जो न विरोधियों के कलेजे लहूलुहान कर सकता है बल्कि तीन तलाक की तर्ज पर बीजेपी के पक्ष में चुनावी माहौल बना सकता है। खास बात ये है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भोपाल में प्रधानमंत्री मोदी ने जो मैसेज दिया, उसकी पृष्ठभूमि उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार ने तैयार की है। बीजेपी शासित राज्यों में पुष्कर धामी ही वो मुख्यमंत्री हैं, जो देश में UCC लागू हो इसका झंडा लेकर देवभूमि से निकल पड़े थे। हांलाकि विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है

 

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री धामी ने दोबारा मुख्यमंत्री बनते ही पहली कैबिनेट में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता ने एक्सपर्ट कमेटी बना दी थी।  धामी एलान कर चुके हैं कि एक्सपर्ट कमेटी से ड्राफ्ट रिपोर्ट मिली नहीं कि राज्य सरकार इसे लागू कर देगी। सीएम धामी का तर्क है कि देवभूमि उत्तराखंड देश का मस्तक है और सबके लिए कानून एक समान हों इसकी पहल इसी धरती से होनी चाहिए। दरअसल, यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब होगा देश में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून। हालांकि देश में क्रिमिनल कोड पहले से सबके लिए समान है लेकिन प्रॉपर्टी, मैरिज, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने जैसे सिविल मामलों में अलग अलग धर्मों के पर्सनल लॉ काम करते हैं। UCC लागू हुआ तो सिविल मामलों में भी एक समान कानून होगा।

 

कुल मिलाकर देश में 2014 से लेकर 2019 के लोकसभा रहें हों या फिर तमाम विधानसभा चुनाव, महिला वोटर्स ने बढ़ चढ़कर ब्रांड मोदी को अपने वोट की ताकत बख्शी हैं। राजनीतिक जानकार ये भी दावा करते हैं कि तीन तलाक पर रोक भले बीजेपी के विरोधियों को रास न आई हो लेकिन मुस्लिम महिलाओं का एक तबका मोदी के समर्थन में खड़ा हो गया। अब पसमांदा मुस्लिम की पॉलिटिक्स पर आगे बढ़ती बीजेपी यूनिफॉर्म सिविल कोड से भी तमाम विरोध के बीच समर्थन की नई सियासी जमीन तैयार होती दिख रही है। देखना होगा बीजेपी सरकार इसपर कितना आगे बढ़ती है

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