केन्यूज डेस्क: हिंदू धर्म के नवरात्रि का विशेष महत्व है.वर्ष में दो नवरात्रि आती है.इनमें में चैत्र माह के नवरात्रि अभी चल रही है.22 मार्च से चैत्र माह के नवरात्रि का आरंभ हो गया है.ऐसे में इनका समापन अष्टमी और नवमी तिथि के दिन किया जाता है.ऐसे में नवरात्रि की महाअष्टमी का विशेष महत्व है.इस दिन मां दुर्गा के 8वें स्वरुप मां महागौरी की पूजा का विधान है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसे बेहद शुभ दिन माना जाता है.अक्सर लोग इस दिन भी व्रत का पारण करते हैं हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार अष्टमी तिथि 29 मार्च बुधवार के दिन अष्टमी पूजन किया जाएगा.इस दिन किए गए कुछ उपाय व्यक्ति को संकटों से बचाते हैं और उनके दुख दूर करने में मदद करते हैं.
नवरात्रि के दिन कैसे करें पूजा
हवन करने के साथ ही व्रत का पारण लोग अपने अनुसार सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि के दिन करते हैं. अष्टमी तिथि के दिन पारण करने पर लोग इस दिन हवन करवाते हैं. अष्टमी के दिन हवन करवाना शुभ माना गया है. इससे घर में संकटों का नाश होता है.
कन्याओं को भोजन
व्रत का समापन होने पर जब आप उसको उद्दयापन किया जाता है,तो कन्या भोज कराया जाता है.अष्टमी तिथि के दिन 9 कन्याओं को भोजन कराने के बाद छोटी कन्याओं को कुछ दक्षिणा देने से कष्ट मिटते है.
वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अष्टमी तिथि के दिन मां भगवती की सुबह, दोपहर,शाम और रात आरती करनी चाहिए. यह नवमी तिथि के प्रारंभ में की जाती है.
वहीं ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस दिन मां को लाल रंग की चुनरी अर्पित की जाती है.ऐसे में अगर चाहें तो लाल रंग की चुनरी में पूजा के दौरान 5 प्रकार के सूखे मेवे लाल रंग की चुनरी में रख कर मां को अर्पित कर दें.
लाल झंडा महाअष्टमी के दिन देवी जी के मंदिर में लाल रंग का ध्वज अर्पित कराना चाहिए.अगर आप चाहें तो गुंबद पर भी लगा सकते हैं.
वहीं महाअष्टमी के दिन माता के मंदिर जाकर लाल चुनरी में माखने,बताशे के साथ सिक्के मिलाकर माता के चरणों में अर्पित कर दें.मां को मालपुर और खीर का भोग लगाएं.
वहीं कुछ मान्यता है कि अष्टमी और नवमी तिथि पर शनि का भी प्रभाव रहता है.ऐसे में इस दिन मां भगवती आराधना करने से शनि के प्रभाव कम हो जाती हैं और मां रक्षा करती हैं.
वहीं सुहागिनों को इस दिन महिलाएं स्त्रियों को सुहाग का सामान देना चाहिए.इस दिन महिला को चांदी की बिछिया,कुमकुम से भरी चांदी की डिबिया,पायल,अंबे माता का चांदी का सिक्का और ऋंगार के सारे सामान दान देनें चाहिए.