देहरादून, एक दौर था जब कई बीमारियों का इलाज मेडिकल साइंस के पास नहीं था। ऐसे में कई मरीजों को बचाना संभव नहीं हो पाता था। लेकिन आज के दौर में मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है। कि अब शायद ही कोई ऐसी बीमारी हो जिसका इलाज मेडिकल साइंस के पास न हो। बावजूद इसके कई बार हमें देखने, सुनने को मिलता है कि किसी मरीज को दुर्लभ बीमारी है। जिसका उपचार चिकित्सकों द्वारा भी नहीं किया जा सकता या उपचार के दौरान मरीज की मौत होने की ज्यादा आशंका रहती है। ऐसा ही एक मामला आया राजधानी देहरादून के महंत इंदिरेश में जहां एक 81 वर्ष के मरीज के खाने की नली में कैंसर था जिस कारण मरीज को श्वास नली में पर्याप्त ऑक्सीजन न जाने से मरीज को श्वास लेने में परेशानी हो रही थी। इसके बारे में बताते हुए छाती एवं श्वास रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. जगदीश रावत ने बताया कि खाने की नली में कैंसर हो जाने से मरीज को इतनी परेशानी हो रही थी कि मरीज को वेंटिलेटर का सपोर्ट देना पड़ गया था। मेडिकल साइंस में इस स्थिती को रेस्पीरेट्री फेलियर कहते हैं। साथ ही उन्होने बताया कि यह केश इसलिए भी दुर्लभ है क्योंकि सांस की नली में दो स्टेंट का एकसाथ लगाना बहुत ही कम मामलों में देखा जाता है। ये प्रोसीजर करने के बाद मरीज को राहत पहुंचाई गयी। जिसके बाद मरीज को सामान्य स्थिति में लाने में सफलता मिलेगी।