आखिर क्यों इस गाँव के बाहर बना है ‘कुतिया महारानी मां’ का मंदिर.. गाँव में एंट्री से पहले यहाँ झुकना ज़रूरी है!

झाँसी, भारत देश एक ऐसा देश है जहां हर धर्म की अलग- अलग पद्धति व संस्कृति, अलग तौर तरीके से पूजा पाठ की जाती है. किसी की आस्था पेड़ पौधों में तो किसी की तस्वीरों में और किसी की जानवरो में होती है. ऐसा ही झांसी में देखने को मिला जहां एक ‘कुतिया’ की मूर्ति की पूजा करते हैं.

 

यूपी के झांसी जिले एक गांव में एंट्री करने से पहले एक ऐसी कुटिया है जहां ऐसे जानवर की फोटो है जिसको भगवान भैरव की सवारी माना जाता है

मंदिर झांसी के मऊरानीपुर के रेवन और ककवारा गांव की जुड़ी सीमा में बना हुआ है.

जानकारों का कहना है

‌इसके बारे में जानकारों का मानना है कि यह कुतिया दोनों गांव की देखभाल करती थी. और गांव में किसी भी तरह की पार्टी होने पर पहुंच जाती थी. एक दिन एक कार्यक्रम था जिसमें खाने के लिए कुतिया रेवन गांव पहुंच गई मगर वहां खाना खत्म हो चुका था जिसके बाद वो मऊ रानी पहुंची. वहां खाना न मिलने की वजह से वह भूखी ही मर गई जिसकी वजह से दोनों गांव वालों को काफ़ी अफसोस हुआ जिसकी वजह से गांव वालो ने कुतिया का शव दोनों गांव की सीमा के बीचों बीच सड़क किनारे दफना दिया और कुछ दिन बाद मंदिर का निर्माण कर के पूजा अर्चना शुरू कर दी.

गांव वालों का मानना है कि अब दोनों गावों में कोई भी आयोजन होता है तो उसका भोग पहले यहां लगता है।

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