KNEWS DESK- पौष का महीना भगवान सूर्य देव को समर्पित माना जाता है। इसी माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पौष अमावस्या कहा जाता है। आज पौष अमावस्या है और यह दिन स्नान, दान, पितृ तर्पण और व्रत के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधि-विधान से किए गए कर्म जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का मार्ग खोलते हैं।
स्नान-दान और पितृ तर्पण का पुण्य फल
पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान कर दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन पितरों का तर्पण करने की परंपरा है। माना जाता है कि तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद परिवार पर बना रहता है।
पौष अमावस्या व्रत का महत्व
इस दिन व्रत रखने की भी परंपरा है। मान्यता है कि पौष अमावस्या का व्रत विधि-विधान से करने और पूजा के समय व्रत कथा का पाठ करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। शास्त्रों के अनुसार, बिना कथा के कोई भी व्रत पूर्ण नहीं माना जाता।
पौष अमावस्या व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक गरीब ब्राह्मण था जिसकी पुत्री अत्यंत सुंदर और गुणवान थी, लेकिन उसके विवाह में लगातार बाधाएं आ रही थीं। एक दिन ब्राह्मण के घर एक साधु आए। ब्राह्मण ने श्रद्धा भाव से उनकी सेवा की। सेवा से प्रसन्न होकर साधु ने आशीर्वाद दिया और विवाह में आ रही अड़चनों को दूर करने का उपाय बताया।
साधु ने कहा कि पास ही रहने वाले एक परिवार के घर यदि ब्राह्मण की पुत्री प्रतिदिन जाकर सेवा और साफ-सफाई करे, तो उसके विवाह का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। अगले दिन से कन्या रोज सुबह उस घर की सफाई कर लौटने लगी। कुछ दिनों बाद उस घर की महिला को इस बात का पता चला और उसने कन्या से पूरा कारण पूछा। साधु की बात जानकर महिला कन्या की सेवा-भावना से अत्यंत प्रसन्न हुई और उसे शीघ्र विवाह का आशीर्वाद दिया।
कहा जाता है कि जैसे ही महिला ने आशीर्वाद दिया, उसी समय उसके पति का निधन हो गया। दुखी होकर उसने अपने आंगन में स्थित पीपल के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा की और भगवान विष्णु से प्रार्थना की। संयोग से वह दिन पौष अमावस्या का था। भगवान की कृपा से उसका पति पुनः जीवित हो गया और ब्राह्मण की पुत्री का विवाह भी संपन्न हो गया।
तभी से यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति पौष अमावस्या के दिन व्रत कथा का पाठ करता है और पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करता है, उसके जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है।