पीएम-सीएम और मंत्रियों को हटाने वाले बिल के लिए बनी JPC से सपा, टीएमसी के बाद आम आदमी पार्टी ने भी किया किनारा, भारी असमंजस्य और दवाब में कांग्रेस

डिजिटल डेस्क- मानसून सत्र के आखिरी दिन से एक दिन पहले सदन में लाए गए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को आरोप मात्र पर 30 दिनों के लिए होने वाली जेल के दौरान इस्तीफे या 31वें दिन स्वतः इस्तीफे वाले बिल के लिए बनी सयुंक्त जांच समिति में समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बाद अब आम आदमी पार्टी ने भी झटका देते हुए जांच समिति से किनारा करते हुए उपस्थित न रहने की बात कही है। तीनों पार्टियों के इस निर्णय के बाद कांग्रेस दुविधा में है क्योंकि कांग्रेस अभी तक इस जांच समिति के पक्ष में खड़ी दिखाई दे रही थी, वहीं अब इन पार्टियों के निर्णय के बाद कांग्रेस को भारी दवाब और असमंजस्य का सामना करना पड़ रहा है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी का मानना है कि संसदीय समितियों की कार्यवाही अदालतों में महत्व रखती है और विवादित विधेयकों पर जनमत को प्रभावित करती है, लेकिन बायकॉट ने विपक्षी समीकरण बदल दिए हैं। अब कांग्रेस के भीतर ही सवाल उठने लगे हैं कि क्या पार्टी नेतृत्व विपक्ष की एकता को प्राथमिकता देगा या फिर अपनी पुरानी लाइन पर टिका रहेगा।

टीएमसी ने इसे बताया सरकार की नौटंकी

टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने इस JPC को पूरी तरह से ‘नौटंकी’ बताया है। उनका कहना है कि मोदी सरकार जानबूझकर ऐसे मुद्दों को हवा दे रही है ताकि असली सवालों से ध्यान भटकाया जा सके। ओ’ब्रायन ने कहा कि पहले JPC का गठन जनता के प्रति जवाबदेही तय करने के लिए किया जाता था, लेकिन 2014 के बाद से इन्हें सिर्फ राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। ओ’ब्रायन ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा कि टीएमसी और सपा ने जेपीसी में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के चेयरमैन मिलकर जेपीसी के अध्यक्ष का चयन करते हैं और सदस्यों का नामांकन पार्टी की संख्या के आधार पर होता है। इससे समिति का झुकाव सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में हो जाता है।

बोली बीजेपी, जिसने अपराध किया वो डर रहे हैं

विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि इस तरह के कानून का इस्तेमाल उनके नेताओं को टारगेट करने के लिए किया जा सकता है। इस सवाल के जवाब में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, “जिन्होंने अपराध किया है, केवल वही डर रहे हैं। निर्दोष व्यक्ति को कोई डर नहीं है। कानून सबके लिए बराबर है। कार्रवाई तभी होगी, जब आप कुछ गलत करेंगे। अगर आप कुछ गलत नहीं करेंगे, तो कार्रवाई क्यों होगी?” तेजस्वी यादव के खिलाफ दर्ज एफआईआर के सवाल पर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है और उन्हें इसका सामना करना होगा।