डिजिटल डेस्क- पिछले कई महीनों से बिहार में विधानसभा चुनाव होने के चलते चुनाव आयोग की तरफ से फर्जी और अवैध वोटरों को बाहर करने के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया चल रही है, जिसका विपक्षी दल लगातार विरोध करते हुए चुनाव आयोग पर भाजपा के हित में कार्य करने और वोटर लिस्ट में धांधली का आरोप लगा रहे हैं। वहीं विपक्षी दलों की तरफ से SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रूख भी कर लिया गया है, जिसपर अभी सुनवाई चल रही है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) सभी 12 मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों को नोटिस जारी करेंगे। नोटिस भेजने की प्रक्रिया रविवार से शुरू होगी।
आज से नोटिस भेजेगा चुनाव आयोग
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रारूप मतदाता सूची में नाम जोड़ने और सुधार की प्रक्रिया में राजनीतिक दलों की प्रत्यक्ष जिम्मेदारी तय होगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी अनिवार्य होगी और वे प्रत्येक मतदाता को सहयोग करने के लिए बाध्य होंगे। निर्देश के अनुसार, मान्यता प्राप्त दलों के अध्यक्ष, कार्यकारी अध्यक्ष या महासचिव को प्रतिवादी बनाया जाएगा और उन्हें नोटिस जारी की जाएगी।
8 सितंबर को कोर्ट में पेश होने का दिया आदेश
आपको बता दें कि कोर्ट ने आदेश में ये भी कहा है कि कि सभी दलों के प्रमुख या महासचिव 8 सितंबर को होने वाली सुनवाई में पेश हों और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। साथ ही इसमें यह बताना होगा कि उन्होंने अपने बूथ लेवल एजेंट (BLA) के माध्यम से कितने मतदाताओं को सहायता प्रदान की। जानकारी के अनुसार, बिहार में मान्यता प्राप्त 12 दलों के पास कुल 1.60 लाख बूथ लेवल एजेंट हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इतनी बड़ी संख्या में एजेंट होने के बावजूद अब तक पूरे राज्य में केवल दो दावे और आपत्तियां दाखिल की गई हैं।