प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित होंगे आईएएस अनुराग श्रीवास्तव, सोलर पावर के अभिनव प्रयोग के लिए दिया जाएगा पुरस्कार

KNEWS DESK – जल जीवन मिशन की परियोजनाओं में सोलर पावर का अभिनव प्रयोग करने के लिए नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के अपर मुख्य सचिव अनुराग श्रीवास्तव को प्राइम मिनिस्टर अवॉर्ड फॉर एक्सीलेंस इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, 2023 के लिए चुना गया है। भारत सरकार द्वारा इनोवेशन स्टेट की कैटेगरी में आईएएस अनुराग श्रीवास्तव को सम्मानित किया जाएगा। 1992 बैच के आईएएस अफसर अनुराग श्रीवास्तव ने उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन की परियोजनाओं में सोलर पावर के इस्तेमाल का अभिनव प्रयोग शुरू किया था। इस बाबत केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय के सचिव वी श्रीनिवास ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र भेजा है। आईएएस अनुराग श्रीवास्तव को इस पुरस्कार से 10 अप्रैल को नई दिल्ली में होने वाले कार्यक्रम में सम्मानित किया जाएगा।

इसलिए दिया जाता है यह पुरस्कार

बता दें कि यह पुरस्कार देश भर के उन चंद चुनिंदा आईएएस अफसरों को दिया जाता है, जो उत्कृष्ट कार्य करते हैं। इस पुरस्कार की शुरूआत भारत सरकार द्वारा असाधारण और अभिनव कार्यों को मान्यता देने और पुरस्कृत करने के लिए की गई है। इसमें तहत कम से कम पाँच प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों को पुरस्कार के लिए चुना जाता है।

कौन हैं अनुराग श्रीवास्तव

अनुराग श्रीवास्तव 1992 बैच के आईएएस अफसर हैं। सिविल इंजिनियरिंग में बीटेक और एमटेक कर चुके अनुराग मौजूदा समय में नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के अपर मुख्य सचिव हैं। 23 साल के अपने प्रशासनिक कैरियर में अनुराग 10 जिलों के जिलाधिकारी रह चुके हैं। जिसमें रायबरेली, सुल्तानपुर, अयोध्या, कानपुर नगर जैसे बड़े जिले शामिल हैं। इसके अलावा कमिश्नर मेरठ, अलीगढ़, बस्ती के पद पर भी तैनात रहे हैं। अनुराग प्रदेश सरकार के साथ-साथ भारत सरकार में भी कई अहम पदों पर रह चुके हैं। वे भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण और आयुष मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी भी रह चुके हैं।

80 प्रतिशत परियोजनाओं में हो रहा सोलर का इस्तेमाल

उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन की 80 प्रतिशत से अधिक परियोजनाएं सोलर पावर पर आधारित हैं। जल जीवन मिशन परियोजना में इतने बड़े पैमाने पर सोलर पावर का इस्तेमाल करने वाला उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य है। उत्तर प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत यूपी में कुल 41539 परियोजनाएं हैं। जिसमें से 33,157 जल जीवन मिशन के प्रोजेक्ट्स में सोलर एनर्जी का उपयोग किया जा रहा है। जिससे रोजाना 900 मेगावाट बिजली पैदा हो रही है। ऐसा करने वाला उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी राज्य है।

बिजली का खर्च 50 प्रतिशत से भी होगा कम

सोलर तकनीक के इस्तेमाल से गांवों में की जाने वाली जलापूर्ति की लागत में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। साथ ही पानी की सप्लाई के लिए इलेक्ट्रिसिटी पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। लो मेंटेनेंस के साथ-साथ इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की आयु 30 साल होती है। 30 साल के दौरान इन परियोजनाओं का संचालन सौर ऊर्जा के जरिए होने से करीब 1 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। इससे करीब 13 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड का इमिशन प्रतिवर्ष कम होगा। जल जीवन मिशन में सोलर आधारित पंपों को चलाने के लिए ग्रामीण इलाकों में 12.50 लाख लोगों को ट्रेनिंग दी गई है। ट्रेनिंग पाने वाले ग्रामीण ही इन परियोजनाओं का संचालन और सुरक्षा करेंगे।

ऐसे होता है पुरस्कार के लिए चुनाव

इस पुरस्कार के लिए चुने जाने की प्रक्रिया बेहद कठिन होती है। अलग-अलग स्तरों पर स्क्रीनिंग के बाद इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। एक बार पुरस्कार के लिए आवेदन करने के बाद पांच चरणों से गुजरना होता है।

चरण I: अतिरिक्त सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग समिति आवेदनों की जांच करती है। इस समिति के सदस्य संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी और नीति आयोग के विशेषज्ञ समिति के सदस्य होते हैं।

चरण II: शॉर्टलिस्ट किए गए आवेदनों का फीडबैक कॉल-सेंटर के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा। स्क्रीनिंग समितियाँ फिर कॉल सेंटर से प्राप्त फीडबैक के विश्लेषण के आधार पर शॉर्टलिस्ट किए गए आवेदनों की जाँच करेंगी और आगे आवेदनों को शॉर्टलिस्ट करेंगी।

चरण III: विशेषज्ञ समिति द्वारा मूल्यांकन; केंद्र सरकार के अधिकारियों की एक और दो सदस्यीय टीम, जो उप सचिव के पद से नीचे नहीं होगी, स्क्रीनिंग समिति द्वारा चुने गए नवाचार वाली योजनाओं का मौके पर जाकर अध्ययन करेगी। फिर इसे कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति के पास भेजा जाता है।

चरण IV: कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली अधिकार प्राप्त समिति उत्कृष्ट आवेदनों की संस्तुति करती है। इस समिति में प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव, नीति आयोग के सीईओ और दो/तीन गैर-सरकारी सदस्य शामिल होते हैं। इसके बाद अधिकार प्राप्त समिति पुरस्कारों के अंतिम चयन के लिए प्रधानमंत्री को अपनी संस्तुतियां देती है।

चरण V: अंत में प्रधानमंत्री पुरस्कारों के लिए अनुमोदन देते हैं।

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