KNEWS DESK – मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी की उपस्थिति में एक महत्वपूर्ण उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच कोयला खनन से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई और उनके समाधान के उपायों पर फोकस किया गया। मुख्यमंत्री ने केंद्र और राज्य सरकार के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि कोयला खनन से संबंधित समस्याओं का समाधान किया जा सके और स्थानीय लोगों के लिए लाभकारी योजनाओं को लागू किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कोल माइनिंग से जुड़े मुद्दों पर दी दिशा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि कोयला एक ऐसा विषय है, जिसमें खनन, उत्पादन, परिवहन, भूमि अधिग्रहण मुआवजा, विस्थापन, डीएमएफटी फंड और सीएसआर गतिविधियों जैसे मुद्दे शामिल हैं। इन सभी पहलुओं को बेहतर तरीके से संचालित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर आगे बढ़ने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे न केवल कोल माइनिंग से संबंधित समस्याओं का समाधान निकलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के बीच खनन को लेकर जो नकारात्मक मानसिकता है, उसे बदलने में भी मदद मिलेगी।
स्टेक होल्डर बनाने पर चर्चा
बैठक के दौरान खनिज रायल्टी और बकाया राशि के मुद्दे पर भी चर्चा की गई। राज्य सरकार ने केंद्रीय कोयला मंत्री के समक्ष विभिन्न परियोजनाओं का आकलन प्रस्तुत किया, और मंत्री ने बकाया राशि के भुगतान का भरोसा दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि खनन परियोजनाओं में विस्थापित रैयतों को केवल मुआवजा और नौकरी देने से आगे बढ़ने की जरूरत है। उन्हें परियोजनाओं में स्टेक होल्डर बनाकर विकास प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि उनका विश्वास जीता जा सके और डीएमएफटी फंड का बेहतर उपयोग हो सके।
कार्यों को बढ़ाने पर जोर दिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड जैसे राज्यों में भूमि से लोगों का भावनात्मक लगाव होता है, और जब जमीन अधिग्रहण होता है, तो लोगों को काफी तकलीफ होती है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां खनन कार्य पूरा हो चुका है, वहां की भूमि को राज्य सरकार को हस्तांतरित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने कोल कंपनियों से अपील की कि सीएसआर कार्यों का दायरा बढ़ाना चाहिए, और खनन परियोजनाओं के 50 किलोमीटर रेडियस में विकास योजनाएं लागू की जाएं।
पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर भी चिंता
मुख्यमंत्री ने झरिया और घाटशिला क्षेत्रों में चल रहे कोल माइनिंग कार्यों से पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि झरिया में जमीन के नीचे आग लगी हुई है, और इसे काबू करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। साथ ही, घाटशिला और जादूगोड़ा में यूरेनियम खनन के कारण उत्पन्न हो रही स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान किया जाना चाहिए। केंद्रीय कोयला मंत्री ने मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया कि इन मुद्दों पर केंद्र सरकार आवश्यक कदम उठाएगी।
मुख्यमंत्री ने दिए कई अहम सुझाव
बैठक में मुख्यमंत्री ने कुछ और अहम सुझाव भी दिए, जैसे:
- कोल कंपनियों द्वारा विस्थापित परिवारों के युवाओं के लिए स्थायी प्रशिक्षण केंद्र खोले जाएं।
- माइनिंग कार्यों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जाए।
- निजी कंपनियों को स्थानीय युवाओं को रोजगार देने की व्यवस्था करनी चाहिए।
- झारखंड में माइनिंग टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कोयला मंत्रालय कदम उठाए।
- कोल इंडिया का मुख्यालय झारखंड में लाने का एक बार फिर आग्रह किया।
बैठक में शामिल अधिकारी
गुरुवार को हुई इस बैठक में कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे, जिनमें मुख्य सचिव अलका तिवारी, केंद्रीय कोयला सचिव विक्रम देव, कोल इंडिया के अध्यक्ष पीएम प्रसाद, सीसीएल के सीएमडी निलेन्दु कुमार सिंह और राज्य सरकार के अन्य प्रमुख अधिकारी शामिल थे।