KNEWS DESK – उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को महाकुंभ नगर में आकाशवाणी के एफएम रेडियो चैनल का शुभारंभ किया, और इस मौके पर महाकुंभ को लेकर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि जो लोग सनातन परंपरा में विश्वास रखते हैं, उनका महाकुंभ में स्वागत है, लेकिन जो लोग कलुषित विचारधारा के हैं, वे यहां न आएं तो ही अच्छा है। उनका मानना था कि अगर ऐसे लोग महाकुंभ में आएंगे, तो उन्हें खुद भी अच्छा नहीं लगेगा, और यह अनुभव उनके जीवन भर याद रहेगा।
महाकुंभ में सनातन परंपरा के अनुयायियों का स्वागत
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ को एक आध्यात्मिक आयोजन के रूप में पेश करते हुए कहा कि यह एक ऐसा स्थल है जहां पर सभी जाति और पंथ की दीवारें खत्म हो जाती हैं और सभी लोग एकजुट होते हैं। उन्होंने कहा कि महाकुंभ का आयोजन उन लोगों के लिए है, जो सनातन परंपरा में विश्वास रखते हैं और इस परंपरा के प्रति श्रद्धा का भाव रखते हैं। यह आयोजन आस्था, भक्ति और सर्वजन हिताय की भावना से जुड़ा हुआ है।
कलुषित मानसिकता वालों के लिए चेतावनी
योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के दौरान लोगों के सम्मान की बात करते हुए यह भी कहा कि वह उन लोगों को चेतावनी दे रहे हैं, जो सनातन परंपरा की आस्था को ठेस पहुंचाने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में कोई भी आ सकता है, लेकिन जो लोग बुरी मानसिकता के साथ यहां आएंगे, उन्हें यह अनुभव जीवन भर याद रहेगा और उन्हें भी अच्छा नहीं लगेगा।
वक्फ बोर्ड की जमीन पर महाकुंभ का आयोजन
कुछ दिनों पहले आल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने यह बयान दिया था कि महाकुंभ मेले की जमीन वक्फ बोर्ड की है। उनका कहना था कि महाकुंभ नगर की लगभग 54 बीघा जमीन वक्फ बोर्ड की है और मुसलमानों ने बड़े दिल से कोई आपत्ति नहीं की है। कुंभ मेले के आयोजन के सभी इंतजाम उसी वक्फ की जमीन पर किए जा रहे हैं। हालांकि, इस बयान के बाद अखाड़ा परिषद ने महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर रोक लगाने की मांग की थी।
महाकुंभ का महत्व
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के आयोजन को विशेष महत्व देते हुए कहा कि यह आयोजन ईश्वर की कृपा है। उन्होंने एक साल पहले अयोध्या में रामलला के विराजमान होने और 144 साल बाद इस तरह के मुहूर्त में महाकुंभ के आयोजन को ऐतिहासिक बताया। योगी ने कहा कि यह एक ऐसा अवसर है, जब देश और दुनिया से आने वाले संतों और श्रद्धालुओं की सेवा करने का अवसर मिला है, और इसे वह अपना सौभाग्य मानते हैं।