KNEWS DESK – पूर्व अभिनेत्री सना खान, जो अब मनोरंजन की दुनिया से दूर अपनी निजी और आध्यात्मिक जिंदगी में व्यस्त हैं, हाल ही में एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या, पोस्टपार्टम डिप्रेशन, पर अपने अनुभव साझा करने के बाद विवादों में आ गईं। सना ने अपने व्लॉग में प्रेगनेंसी के दौरान और बाद की मानसिक चुनौतियों पर खुलकर बात की, लेकिन उनके बयानों को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें जमकर ट्रोल किया गया।
सना खान ने साझा किया अपना अनुभव
सना खान ने अपने व्लॉग में पोस्टपार्टम डिप्रेशन पर बात करते हुए इसे अपनी जिंदगी का एक कठिन दौर बताया। उन्होंने माताओं को सलाह दी कि वे इस समस्या पर ज्यादा ध्यान न दें और इसे जाने दें, क्योंकि बार-बार इस पर सोचने से स्थिति और बिगड़ सकती है। सना ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि कोई भी मां इस मुश्किल दौर से न गुजरे, लेकिन अगर आप इस समस्या से गुजर रही हैं, तो इसे खुद पर हावी न होने दें।”
सना ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि इस दौर में उनकी नींद बाधित हो गई थी और बच्चे के रोने के कारण उन्हें रातभर जागना पड़ता था। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुश्किल वक्त में उनकी मानसिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा।
सोशल मीडिया पर सना हुईं ट्रोल
सना खान की इस बात पर सोशल मीडिया पर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आईं। जहां कुछ लोगों ने उनकी हिम्मत की तारीफ की, वहीं कई लोगों ने उनके बयानों को “अनुचित और असंवेदनशील” करार दिया।एक यूजर ने लिखा, “अगर उन्हें इस मुद्दे की पूरी जानकारी नहीं है, तो उन्हें इस पर बोलने से बचना चाहिए।” वहीं, कुछ ने इसे प्रचार का माध्यम बताते हुए कहा, “अब वो सिर्फ ध्यान आकर्षित करने के लिए इस तरह की बातें कर रही हैं।” हालांकि, कई समर्थकों ने सना का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने अपने अनुभव साझा करके अन्य महिलाओं को हिम्मत दी है और यह समाज के लिए एक सकारात्मक कदम है।
क्या है पोस्टपार्टम डिप्रेशन?
पोस्टपार्टम डिप्रेशन, जिसे प्रसवोत्तर अवसाद भी कहा जाता है, एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जो आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान या बच्चे के जन्म के बाद पहले साल में होती है। यह महिलाओं की भावनाओं, व्यवहार और सोचने के तरीके पर गहरा असर डाल सकती है।
लक्षण:
- लगातार उदासी और थकान
- नींद में बाधा या अधिक सोना
- बच्चे की देखभाल में रुचि की कमी
- अत्यधिक चिंता या चिड़चिड़ापन
- आत्मग्लानि और बेकार होने का एहसास
पोस्टपार्टम डिप्रेशन का कारण
गर्भावस्था और डिलीवरी के दौरान महिलाओं के शरीर और जीवन में बड़े बदलाव आते हैं। हार्मोनल असंतुलन, थकान, सामाजिक दबाव और नींद की कमी इसके मुख्य कारण हो सकते हैं। यह समस्या हल्के स्तर से लेकर गंभीर अवसाद तक हो सकती है, जिसमें समय पर इलाज बेहद जरूरी होता है।