मलिन बस्तियों की बारी, या चुनावी तैयारी ?

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में निकाय चुनाव से पहले राज्य में मलिन बस्तियों के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। दअरसल भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार के राज में मलिन बस्तियों को बचाने के लिए लाये गये अध्यादेश की मियाद कल यानि की बुधवार को समाप्त हो रही है। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि मलिन बस्तियों को बचाने के लिए सरकार कार्य करेगी। जो मलिन बस्तियां जहां हैं वहीं रहेंगी. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि सरकार मलिन बस्तियों को बचाने के लिए एक बार फिर अध्यादेश लाने जा रही है। हांलाकि अध्यादेश लाने से पहले ही कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर सवाल उठा दिये हैं कांग्रेस का तर्क है कि चुनाव में लाभ लेने के लिए सरकार बार-बार अध्यादेश ला रही है जिससे लोगों में डर बना रहे हैं और भाजपा को इसका चुनावी लाभ मिल सके, कांग्रेस ने सरकार से मलिन बस्ती वासियों को मालिकाना हक देने की मांग की है। इसके साथ ही कांग्रेस ने वादा किया है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर मलिन बस्तियों को मालिकाना हक दिया जाएगा। बता दे कि देहरादून की 129 मलिन बस्तियों में लगभग 40 हजार घरों का अस्तित्व खतरे में है। अध्यादेश की मियाद खत्म होने के बाद देहरादून और पूरे प्रदेश की 582 मलिन बस्तियां अवैध श्रेणी में आ जाएंगीजिससे हाईकोर्ट के आदेश का पालन सरकार को करना होगा। बता दे कि पूर्व में नैनीताल हाईकोर्ट ने मलिन बस्तियों को खाली कर उनके पुनर्वास के आदेश दिए थे.हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पष्ट किया है कि ये बस्तियां यथावत रहेंगी। सवाल ये है कि आखिर क्यों मलिन बस्ती पर गरमाई राजनीति शांत क्यों नहीं होती है। और क्या धामी सरकार इन बस्तिवासियों को बचाने के लिए कोई कदम उठाएगी या नहीं करेंगे 

उत्तराखँड में एक बार फिर मलिन बस्तियों पर खतरे की तलवार लटक गई है। दअरसल मलिन बस्तियों को बचाने के लिए लाया गया अध्यादेश बुधवार को समाप्त होने जा रहा है। अध्यादेश की मियाद खत्म होने से प्रदेश की 582 मलिन बस्तियां अवैध श्रेणी में आ जाएंगी. जिसके बाद सरकार को नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन करते हुए बस्तियों को खाली कराना होगा. साथ ही प्रभावितों का पुनर्वास भी करना होगा। हांलाकि कोर्ट के आदेश का अनुपालन करना राज्य सरकार के लिए बड़ा ही चुनौतीपूर्ण होगा। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि मलिन बस्तियों को बचाने के लिए सरकार कार्य करेगी। जो मलिन बस्तियां जहां हैं…वहीं रहेंगी. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि सरकार मलिन बस्तियों को बचाने के लिए एक बार फिर अध्यादेश लाने जा रही है। हांलाकि अध्यादेश लाने से पहले ही कांग्रेस ने सरकार की मंशा पर सवाल उठा दिये हैं…

 आपको बता दें कि साल 2016 में प्रदेश के 63 नगर निकायों में हुए सर्वे में 582 मलिन बस्तियां पाई गई। जिनकी कुल जनसंख्या सात लाख 71 हजार 585 थीजबकि इनमें मकानों की संख्या एक लाख 53 हजार 174 सामने आई थी। वहीं 37 प्रतिशत बस्तियां नदी और नालों के किनारे बसी हुई हैं। वहीं निकाय चुनाव से पहले मलिन बस्तियों पर मचे सियासी घमासान के बीच विपक्ष का आरोप है कि सरकार निकाय चुनाव में लाभ लेने की कोशिश में लगी हुई है। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि सरकार निकाय चुनाव में हार के डर से निकाय चुनाव नहीं करा रही है

 

कुल मिलाकर निकाय चुनाव से पहले राज्य में मलिन बस्तियों के मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। एक तरफ जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मलिन बस्तिवासियों को हर संभव मदद का आश्वासन दे रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस ने सरकार से मलिन बस्तिवासियों को मालिकाना हक देने की मांग की है सवाल ये क्या धामी सरकार इन बस्तिवासियों को बचाने के लिए कोई कदम उठाएगी या नहीं

 

 

 

 

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