Sarvapitri Amavasya: आप भी कर रहें सर्वपितृ अमावस्या पर अपने पितरों का तर्पण, आइए जानते हैं श्राद्ध भोजन से जुड़े ये 5 विशेष नियम

KNEWS DESK – इस वर्ष सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन, श्रद्धालु अपने पितरों का तर्पण और श्राद्ध करते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है। गरुड़ पुराण समेत कई धार्मिक ग्रंथों में पितरों के श्राद्ध के महत्व का वर्णन किया गया है। यदि आप भी इस दिन अपने पितरों का श्राद्ध कर रहे हैं, तो निम्नलिखित नियमों का पालन करना आवश्यक है ताकि आपकी श्रद्धा सफल हो सके।

1. केले के पत्ते पर भोजन न परोसें

श्राद्ध के अवसर पर ध्यान रखें कि केले के पत्ते पर श्राद्ध का भोजन परोसना वर्जित है। इसके स्थान पर आप चांदी, कांसे या तांबे के बर्तनों का उपयोग कर सकते हैं। पत्तल पर भोजन परोसना भी शुभ माना जाता है।

kele ke patte par khana khane ke fayde in hindi know why people eat on  banana leaf in south india | केले के पत्‍तों पर खाना क्‍यों खाते हैं साउथ  इंड‍िया के2. श्राद्ध भोजन में तिल का प्रयोग

श्राद्ध भोजन में तिल का इस्तेमाल अवश्य करें। तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं। साथ ही, गंगाजल, शहद और दूध का उपयोग भी करना चाहिए, जो पितरों को प्रसन्न करता है।

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3. दरवाजे पर आए भूखे को भोजन कराएं

यदि आपके घर श्राद्ध का आयोजन हो रहा है और दरवाजे पर कोई भूखा या भिखारी भोजन मांगता है, तो उसे सबसे पहले भोजन कराएं। ऐसा करने से पितरों की असीम कृपा मिलती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, पितर किसी भी रूप में धरती पर आ सकते हैं।

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4. पशु-पक्षियों को भोजन कराना न भूलें

पितरों के श्राद्ध का भोजन निकालने के साथ ही पशु-पक्षियों को भी खाना देना चाहिए। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। गाय, कुत्ता, बिल्ली और कौआ आदि को भोजन देना शुभ माना जाता है।

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5. श्राद्ध भोजन का समय

यह सुनिश्चित करें कि आप श्राद्ध का भोजन केवल सुबह या दोपहर के समय ही करें। शाम और रात के समय श्राद्ध का भोजन कराना उचित नहीं है, क्योंकि इस समय भटकती आत्माएं सक्रिय होती हैं।

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इन नियमों का पालन करके आप अपने पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं|

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